प्रदेश के डेढ़ हजार कालेजों की बीएड मान्यता पर रोक-
लखनऊ। बीएड कालेजों पर नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने रोक लगा दी है। इससे एक हजार बीएड व पांच सौ बीटीसी कालेजों की मान्यता लटक गई है। एनसीटीई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन कालेजों की मान्यता रोक दी है जिन्होंने दो साल पहले आवेदन किया था। प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्धता के लिए ऐसे डेढ़ हजार कालेज हैं। उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संघ के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी, सचिव रमाकांत तिवारी व कोषाध्यक्ष बृजेश भदौरिया ने बताया कि केंद्र में नई सरकार बनने से उम्मीदें जगी हैं। पहले एमएचआरडी सचिव से मिलकर इस समस्या का हल निकाला जाएगा। अगर बात नहीं बनती है तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। बीएड कालेजों की मान्यता पर रोक से कालेजों पर असर पड़ रहा है।
मान्यता पर रोक लगाने के चलते पिछले माह उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोशिएशन का प्रतिनिधिमंडल एनसीटीई के नार्दन रीजनल कमेटी के निदेशक डा.आइके मंसूरी से मिला था। सदस्यों से डा.मंसूरी ने बताया कि सत्र 2014-15 के लिए किसी कालेज को मान्यता नहीं दी जा रही है। नई फाइलें भी नहीं ली जा रही हैं। कोर्ट के आदेश पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
साभार : दैनिक जागरण
लखनऊ। बीएड कालेजों पर नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने रोक लगा दी है। इससे एक हजार बीएड व पांच सौ बीटीसी कालेजों की मान्यता लटक गई है। एनसीटीई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन कालेजों की मान्यता रोक दी है जिन्होंने दो साल पहले आवेदन किया था। प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्धता के लिए ऐसे डेढ़ हजार कालेज हैं। उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संघ के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी, सचिव रमाकांत तिवारी व कोषाध्यक्ष बृजेश भदौरिया ने बताया कि केंद्र में नई सरकार बनने से उम्मीदें जगी हैं। पहले एमएचआरडी सचिव से मिलकर इस समस्या का हल निकाला जाएगा। अगर बात नहीं बनती है तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। बीएड कालेजों की मान्यता पर रोक से कालेजों पर असर पड़ रहा है।
मान्यता पर रोक लगाने के चलते पिछले माह उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोशिएशन का प्रतिनिधिमंडल एनसीटीई के नार्दन रीजनल कमेटी के निदेशक डा.आइके मंसूरी से मिला था। सदस्यों से डा.मंसूरी ने बताया कि सत्र 2014-15 के लिए किसी कालेज को मान्यता नहीं दी जा रही है। नई फाइलें भी नहीं ली जा रही हैं। कोर्ट के आदेश पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
साभार : दैनिक जागरण