इलाहाहाद : शिक्षक भर्ती के आवेदकों ने जमकर किया फर्जीवाड़ा ; प्रमाण पत्रों का मिलान कराया गया तो अफसरों के उड़ गये होश
इलाहाबाद : राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के आवेदकों ने जमकर फर्जीवाड़ा किया है। नौकरी पाने के लिए प्रमाणपत्रों से छेड़छाड़ करने में भी नहीं हिचके। आवेदन और काउंसिलिंग में दिए गए प्रमाण पत्रों का मिलान कराया गया तो अफसरों के होश उड़ गए।
महिला व पुरुष वर्ग की भर्ती में ऐसे दर्जनों मामले मिले हैं। ऐसे सभी अभ्यर्थियों को कारण स्पष्ट करने का नोटिस दिया गया है। संयुक्त शिक्षा निदेशक के स्तर से भी सत्यापन कराया जा रहा है। फर्जीवाड़ा साबित होने पर इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
इलाहाबाद मंडल में 338 पदों पर भर्ती के लिए बीती 30 अक्तूबर को विज्ञापन जारी हुआ था। चूंकि हाईस्कूल, इंटर, स्नातक व बीएड की मेरिट पर भर्ती होनी थी इसलिए बहुतों ने अधिक अंक की फर्जी मार्कशीट लगाकर फार्म भर दिया।
काउंसिलिंग में फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया। भूतपूर्व सैनिक, विकलांग आदि प्रमाणपत्रों में भी हेरफेर के मामले सामने आए हैं। कई कोर्स की मान्यता की स्थिति भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे प्रकरण विचाराधीन हैं। संयुक्त शिक्षा निदेशक ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड कर दी है।
एलटी ग्रेड भर्ती के कई अभ्यर्थियों के आवेदन व काउंसिलिंग के समय दिए प्रमाणपत्रों में भिन्नता है। ऐसे अभ्यर्थियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। हम अपने स्तर से सत्यापन करा रहे हैं। जिनके सर्टिफिकेट फर्जी हैं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
महेन्द्र कुमार सिंह, संयुक्त शिक्षा निदेशक
केस एक: एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के मूल आवेदन में बीएड की अंकतालिका 2013 की लगाई गई है। जबकि काउंसिलिंग के समय प्रस्तुत बीएड के सर्टिफिकेट पर वर्ष 2011 लिखा है। इसके अलावा दोनों सर्टिफिकेट पर रोल नंबर और कॉलेज के नाम अलग हैं।
केस दो: आवेदन में बीए तृतीय वर्ष व बीएड के सर्टिफिकेट और काउंसिलिंग के समय दिए गए प्रमाणपत्रों में अंतर है। आवेदन में बीएड 2004 में हरिश्चन्द्र पीजी कॉलेज वाराणसी है जबकि काउंसिलिंग में दिए सर्टिफिकेट में बीएड 2005 में सल्तनत पीजी कॉलेज बदलापुर जौनपुर है।
केस तीन: मूल आवेदन में बीए तृतीय वर्ष का प्रमाणपत्र 2007 का है जबकि काउंसिलिंग के समय प्रस्तुत बीए तृतीय वर्ष का सर्टिफिकेट 2009 का है।