लखनऊ : बच्चों को दिया जा रहा घटिया मिड-डे-मील : राजकीय उप्र सैनिक स्कूल के प्रिंसिपल ने बीएसए को लिखी चिट्ठी ; उधार के दूध में फंसा पराग का पैसा
√उधार के दूध में फंसा पराग का पैसा
√दूध लेने के बाद एनजीओ संचालकों ने नहीं किया भुगतान
लखनऊ। राजधानी के सरकारी स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे-मील की गुणवत्ता पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। ताजा मामला राजकीय उत्तर प्रदेश सैनिक इंटर कॉलेज सरोजनी नगर का है। यहां पिछले काफी समय से बच्चों को एनजीओ की ओर से जो खाना दिया जा रहा है, उसकी गुणवत्ता बहुत खराब है। जिससे स्टूडेंट्स उसे नहीं खा रहे हैं। खुद प्रिंसिपल ने इसकी लिखित शिकायत बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी से करते हुए एनजीओ को बदलने का अनुरोध किया है।दरअसल, माध्यान्ह भोजन योजना के तहत कक्षा एक से आठ तक के परिषदीय, राजकीय व सहायता प्राप्प्त मदरसा आदि के बच्चों को दिए जाने वाले गरमा गरम गुणवत्तायुक्त मिड-डे-मील दिए जाने का प्रावधान है। इसकी जिम्मेदारी अक्षय पात्र फाउंडेशन और एनजीओ की है। लेकिन एनजीओ बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे-मील की गुणवत्ता से खिलवाड़ करने में लगे हैं। कभी मेन्यू के अनुसार बच्चों को खाना नहीं दिया जाता तो कभी खाने की गुणवत्ता बहुत खराब होती है। राजकीय उप्र सैनिक इंटर कॉलेज का ताजा मामला है। यहां के प्रिंसिपल के मुताबिक यहां एनजीओ शास्वत सेवा संस्थान द्वारा बच्चों को जो मिड-डे-मील दिया जाता है, उसकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है। जिससे छात्र-छात्राएं उसे खाने से इंकार कर देते हैं। उनकी मानें तो कई बार एनजीओ को खाने की गुणवत्ता सुधारने के लिए कहा लेकिन कोई सुधार नहीं आया। पिछले साल 11 जनवरी को भी मिड-डे-मील की खराब गुणवत्ता की शिकायत की गई थी। अब लगातार मिड-डे-मील की गुणवत्ता खराब हो रही है। उन्होंने बीएसए को पत्र भेजकर एनजीओ को हटाने तथा अक्षय पात्र को मिड-डे-मील की जिम्मेदारी देने का अनुरोध किया है।
रविवार को प्रतियोगी परीक्षा का सेंटर होने की वजह से मैं स्कूल गया था तभी प्रिंसिपल ने मिड-डे-मील की गुणवत्ता खराब होने की शिकायत की थी। मामले की जांच कराई जाएगी, उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
-प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए लखनऊ
लखनऊ (डीएनएन)। राजकीय एवं सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में जुलाई और अगस्त में एनजीओ ने पराग से उधार दूध लेकर बच्चों को पिला दिया। लेकिन जब पैसा देने की बारी आई तो चुप्पी मार कर बैठ गए। अब पराग के महाप्रबंधक दिनेश कुमार सिंह ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजकर एनजीओ से बकाया धनराशि का भुगतान कराने का अनुरोध किया है।बीते 15 जुलाई को राज्य सरकार ने बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे-मील के मेन्यू में परिवर्तन कर दिया था। नए मेन्यू में बच्चों को प्रत्येक बुधवार को दूध और कोफ्ता-चावल दिए जाने का प्रावधान किया गया। परिषदीय विद्यालयों में अक्षय पात्र फाउंडेशन तथा राजकीय, एडेड, मदरसा तथा बीकेटी नगर पंचायत के परिषदीय विद्यालयों में मिड-डे-मील की जिम्मेदारी एनजीओ को सौंपी गई। दूध उपलब्ध कराने के लिए पराग से हामी भरी। लेकिन बजट न होने का हवाला देकर अक्षय पात्र ने किसी तरह सिर्फ एक बाद दूध वितरण कर दिया। उसके बाद एनजीओ ने भी जुलाई व अगस्त में बच्चों को पराग से उधार लेकर दूध वितरित कराया। उसके बाद स्कूलों में सितंबर और अक्टूबर में दूध वितरण ही बंद कर दिया गया। जिससे पराग का एनजीओ पर दूध का 47,791.50 रुपए का बकाया हो गया। अब पराग के अधिकारी एनजीओ से पैसे की मांग कर रहे हैं लेकिन एनजीओ संचालक भी विभाग से भुगतान न होने की वजह से चुप्पी साधे बैठे हैं। हालांकि बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी का कहना है कि एनजीओ संचालकों का चार-पांच महीने का बकाया है, जो कि कोषागार से जल्द ही जारी हो जाएगा। उसके बाद एनजीओ ही पराग का बकाया भुगतान करेंगे।किस एनजीओ का कितना बकायाअवध ग्राम सेवा समिति-9060 रुपएडॉ.मौलाना आजाद मेमोरियल-3624 रुपएनिर्मल सेवा समिति-7427.50 रुपएमेसर्स छत्तीसगढ़ सेवा समिति-9060 रुपएमेसर्स उन्मेष सेवा संस्थान-18120 रुपए
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