जाका, बदायूं : बिना पर्याप्त संसाधनों के परिषदीय विद्यालयों की छमाही परीक्षा शुरू हो चुकी है। खानापूर्ति करते हुए संचालित परीक्षाओं में घोर लापरवाही बरती जा रही है। वहीं शिक्षक-शिक्षिकाओं के प्रश्न पत्रों में ही उलझे रहने की शिकायतें आम हो चली हैं। प्रश्न पत्र देखकर पता ही नहीं चल रहा कि उसमें करना क्या है। कक्षा एक से कक्षा पांच तक कोई भी ऐसी कक्षा नहीं जिसके प्रश्न पत्र में कमियां न हों। शिक्षकों को प्रश्न पत्र ही न समझ पाने पर बच्चों को दिए जाने वाले नंबरों का अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है। शिकायत आने पर बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा ने इसकी जांच कराकर जिम्मेदारों से स्पष्टीकरण लेने और वेतन वृद्धि रोकने की चेतावनी दी है।
गणित विषय के पेपर में कक्षा एक के बच्चे से उल्टी गिनती में पचास से एक तक गिनती पूछी गई है और प्रश्नों के अलग-अलग अंक नहीं बताए गए हैं। ¨हदी के प्रश्न पत्र में किसी भी रंग की होने के बाद भी पतंग का रंग पूछा गया है। कक्षा दो के ¨हदी के प्रश्न पत्र में चौथे प्रश्न में पूछा गया है कि मेढक ने क्या किया। कक्षा चार के सामाजिक विषय हमारा परिवेश की मौखिक परीक्षा का तैयार किया गया प्रश्न पत्र को समझना शिक्षकों के लिए टेढ़ी खीर साबित हुआ। किसी को कुछ भी समझ नहीं आया कि क्या करना है। कुछ शब्दों को लिख दिया गया और बताया तक नहीं गया कि किसमें क्या होना है। प्रश्न पत्र में विधायक के स्थान पर विघायक लिखा गया है। कक्षा पांच की ¨हदी विषय की लिखित परीक्षा के प्रश्न पत्र में पहले प्रश्न का घ सवाल का वाक्य ही गलत है। जिसमें लिखा गया है कि ओलंपिक खेल सर्वप्रथम कहां आयोजन हुआ था।