जागरण संवाददाता, मारहरा (एटा) : विद्यालयों को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है। जहां देश का भविष्य तैयार होता है। बच्चों को बुनियादी शिक्षा देकर कामयाबी का रास्ता दिखाया जाता है लेकिन जब शिक्षा के मंदिर की बुनियाद ही कमजोर हो, तो कैसे बच्चों के अच्छे भविष्य की कल्पना संभव है। इन दिनों क्षेत्र के गांव कपरैटा में राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय के निर्माण में कुछ ऐसा ही हो रहा है। कार्यदायी संस्था की मनमानी से बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। विद्यालय निर्माण में जमकर घटिया सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है।
अब तक जिले के गरीब बच्चों को आवासीय शिक्षा के लिए आगरा या मैनपुरी के लिए जाना होता था। जिले के निधौलीकलां विकास खंड के गांव कपरैटा में राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय के निर्माण से गरीब तबके के लोगों में खुशी का माहौल था। विद्यालय का निर्माण समाज कल्याण निर्माण निगम द्वारा कराया जा रहा है लेकिन निर्माण में ठेकेदार की मनमानी से बच्चों के भविष्य पर भी संकट खड़ा हो गया है। विद्यालय को कमजोर दीवाल के सहारे लगभग एक मंजिल तक बनवा कर खड़ा तो कर दिया है। यह कब विद्यालय ढह जाए कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। ग्रामीण बताते हैं कि निर्माण में दो सूत की सरिया, दस-एक का मसाला और पीली ईंट का प्रयोग किया जा रहा है। किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने आज तक निर्माण कार्य स्थल का निरीक्षण भी नहीं किया। जिसके चलते धांधली पर कोई असर नहीं है। इसके अलावा निर्माण काम में लगे मजदूरों की भी अपनी व्यथा है। उन्होंने बताया कि एक माह से मजदूरी नहीं दी गई है।
क्या है राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय
समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित इन राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में 30 हजार रुपया वार्षिक आय वाले गरीब तबके के परिवारों के बच्चों को कक्षा एक से 12 तक की यूपी बोर्ड की शिक्षा प्रदान की जाती है। जिसमें बच्चों को खाना, रहना, ड्रेस, किताबों समेत तमाम सुविधाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाती हैं।
जांच कराकर करेंगे कार्रवाई
मामले को लेकर समाज कल्याण अधिकारी विनोद शंकर तिवारी से बात की गई। उन्होंने कहा कि विद्यालय एक मंजिला पूरा हो चुका है, इसकी जानकारी नहीं है। केवल बाउंड्रीवाल के बारे में भी जानकारी थी। विद्यालय निर्माण में यदि किसी भी प्रकार की मानकों में अनदेखी हो रही है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।