तूने तो कमाल कर दिया मंतिशा
बदायूं : कौन कहता है आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। इस कहावत को चरितार्थ कर रही है उझानी की रहने वाली प्राथमिक विद्यालय की दृष्टि बाधित छात्रा मंतिशा। जिसे महज एक-दो बार में ही कुछ भी याद हो जाता है। उसकी यादाश्त की बात की जाए तो छोटी सी उम्र में कक्षा पांच में पढ़ने वाली मंतिशा को 88 तक पहाड़े याद हैं। परिजन उसे पहाड़े सुनाते हैं जिसे वह याद हो जाती हैं। वह यहां संचालित प्री इंटीग्रेशन कैंप में प्रशिक्षण लेने आई है और अन्य बच्चों को भी जागरूक कर रही है।
दृष्टि बाधित मंतिशा उझानी कस्बे के लाल बहादुर प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पांच की छात्रा है। जिसे एक-दो नहीं, पूरे 88 तक पहाड़े याद हैं। खासियत है कि आंखों की रोशनी न होने के बाद उसने यह मुकाम हासिल किया है। उसका लक्ष्य सौ तक पहाड़े याद करना है। विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं का भी इसमें पूरा सहयोग रहता है। उनसे पहाड़े लिखवाकर घर ले जाती है और अपनी बड़ी बहन से सुनाने को कहती है। एक-दो बार सुनकर ही उसे पहाड़ा याद हो जाता है। वह बड़े होकर सामान्य लोगों की तरह नौकरी करना चाहती हैं। परिवार में सात भाई बहन हैं। पिता राज मिस्त्री का कार्य करते हैं।
बदाये : सालों पहले प्री इंटीग्रेशन कैंप में प्रशिक्षण लेने वाले सहसवान के ²ष्टिहीन सूरदास दिल्ली के एक विद्यालय की कक्षा ग्यारह के छात्र हैं और आज इस्लामियां इंटर कालेज में होने वाले कार्यक्रम में शिरकत करने दिल्ली से आए हैं। समेकित शिक्षा के जिला समन्वयक जितेंद्र ¨सह ने बताया कि वह एक होनहार बच्चा है जो अन्य विकलांग बच्चों की बातों को बेहतर ढंग से समझकर गायन व वादन क्रिया की जानकारी दे रहा है।