बहराइच : प्राथमिक शिक्षा की बदहाली का नमूना देखना हो तो पूर्व माध्यमिक विद्यालय नौशहरा चले आइए। यह ऐसा विद्यालय है जिसका भवन वर्षों पहले बना था, लेकिन छत नदारद है। यह हाल केवल एक विद्यालय भवन का नहीं बल्कि कई स्कूल भनवों का है, कहीं छत पड़ गई तो प्लास्टर नहीं और प्लास्टर है तो खिड़की दरवाजे जर्जर। शौंचालय की दशा तो और भी खराब है।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय नौशहरा में कक्षा 6 से 8 तक 198 छात्र पंजीकृत हैं। विद्यालय भवन के नाम पर चार कमरे ऐसे हैं जो बिना छत के हैं। जाड़े के मौसम में ओस व कोहरा के बीच छात्रों को बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। ग्रामीणों ने बताया कि सन 2004 में इस विद्यालय का निर्माण कोआपरेटिव बैंक शाखा द्वारा हो रहा था, ¨कतु कोआपरेटिव शाखा के बंद हो जाने के कारण महज दीवारें उठ पाई थीं। इसके बाद कमरों पर छत नहीं पड़ सकी। तब से यह विद्यालय इसी में संचालित हो रहा है। शिक्षा विभाग ने तीन अतिरिक्त कक्ष जरूर बनवाए हैं, लेकिन उनमें ताला लटकता नजर आ रहा है। विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि अतिरिक्त कक्ष भी छात्रों की संख्या के लिहाज से नाकाफी है।
प्राथमिक विद्यालय बौंडी व कन्या प्राथमिक विद्यालय बौंडी अत्यंत जर्जर अवस्था में है। ग्रामीणों महीप शुक्ल, टीपू शुक्ल, रवी ¨सह, देवेंद्र ¨सह, पंकज दीक्षित आदि का कहना है कि एक ऐसा समय था जब इस विद्यालय में सैकड़ों छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे, परन्तु कुछ ही वर्षों में विद्यालय भवन इतने जर्जर अवस्था में पहुंच गया कि बरसात का पानी, ठंड हवाएं, लू का प्रभाव सीधे कक्षा में पड़ता है। यहां के शौचालय बदहाल हैं। यही हाल खैरा, मरौचा, फखरपुर, चुनहा, जैतापुर, अटोडर, कौड़हा, बिसंवा, गुजौंली, कोदही, साँईगांव आदि का भी है। विद्यालयों के प्रांगण में बनाये गये अतिरिक्त कक्ष व भूकंप रोधी भवनों की हालत भी दयनीय है। क्षेत्र के दर्जनों विद्यालय जर्जर अवस्था में पहुंच गये हैं। कहीं-कहीं दीवारों में दरारें पड गयी है। तो कहीं खिड़की व दरवाजे नदारद हैं। शौचालयों की दयनीय हालत की वजह से छात्र-छात्राओं को शौच के लिए खेत जाना पड़ता है। अधिकांश विद्यालयों की फर्श टूटी है, जिससे छात्रों को टाट-पट्टी पर बैठने में भी असुविधा होती है। प्राथमिक विद्यालय बौंडी द्वितीय के अतिरिक्त कक्ष पर अराजकतत्वों ने अवैध कब्जा कर लिया है जबकि रसोई घर पर भी लोगों ने अतिक्रमण जमा रखा है।
बोले अधिकारी
बैंक शाखा के बंद होने के कारण भवन निर्माण अधूरा है। कई बार प्रयास किया गया पर अब तक बैंक धन उपलब्ध करा पाने में नाकाम रहा। इस समस्या को देखते हुए अतिरिक्त कक्ष बनवाया गया है। जर्जर भवनों की मरम्मत कराने के लिए बजट की मांग गई है।
अनिल झा, खंड शिक्षाधिकारी, तेजवापुर