ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। इस तरह के मंत्रों के उच्चारण की गूंज हर रोज एक शहर के मुस्लिम इलाके के एक मदरसे से सुनाई देती है। आगरा के दरहेठी नंबर एक में स्थित मदरसा मोईनुल इस्लाम में कुरान की आयतो के साथ संस्कृत के कठिन श्लोकों का पाठ पढ़ाया जा रहा है। खास बात यह है कि इस मदरसे में मुस्लिम बच्चे संस्कृत का पाठ पढ़ रहे है, एक सैकड़ा हिन्दू बच्चे गीता सार के साथ उर्दू, अरबी को सीख रहे है।
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना... मोहम्मद इकबाल की यह पंक्ति इस मदरसे पर बिल्कुल सटीक बैठती है। दो अलग-अलग मजहब के लोग धर्म मतभेद को भुलाकर एक साथ घंटों मदरसे में पढ़ते हैं। शहर से करीब दस किमी दूर स्थित इस मदरसे में कुल छात्र 375 है, इसमें मुस्लिम छात्र 275 हैं जबकि हिन्दू छात्रों की संख्या 100 है। सभी मुस्लिम व हिन्दू दोनों छात्रों को एक साथ कुरान, इस्लामी दीनियात, अरबी के साथ उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के समस्त विषय पढ़ाए जाते है। मदरसे में इन बच्चों को संस्कृत पढ़ाने के लिए शिक्षक इख्तिखार हुसैन, मुश्ताक हाशमी पूरी कवायद से जुटे हुए हैं। मदरसे में कक्षा छह में पढ़ने वाले छात्र मो. सदीक संस्कृत के श्लोकों को फटाफट पढ़ता है। गायत्री मंत्र के साथ संस्कृत के श्लोकों को तेजी से पढ़ने का गजब का हुनर उसके पास है। कक्षा सात के छात्र मो. अमजद व अनीस अहमद को उर्दू से अधिक संस्कृत विषय भा रहा है। संस्कृत में इन छात्रों की प्रतिभा को देखकर प्रधानाचार्य भी हतप्रभ है।
मुस्लिम बच्चों को संस्कृत पढ़ाने का विचार अच्छा है। जब हिन्दू बच्चे उर्दू व अरबी की पढ़ाई कर सकते है। तो मदरसा में संस्कृत की शिक्षा क्यों नहीं। मदरसे में हिन्दू व मुस्लिम छात्र दोनो भाषा की तालीम ले रहे है।
मौलाना उजैर आलम, प्रधानाचार्य (मोईनुल इस्लाम मदरसा)