सर, मिड डे मील प्राइवेट स्कू लों में क्यों नहीं मिलता?
सीएम अखिलेश यादव : हम लोग अभी हफ्ते एक दिन दूध देते हैं अब फल भी दिया करेंगे। आप उस स्कू ल को छोड़िए, सरकारी स्कूल में आईए। यहां मिड डे मील में फल भी मिलेगा और दूध भी।
सीएम सर, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की तादाद कम हो रही है। न्यूट्रिशन की कमी भी बड़ा सवाल है।
सीएम : डिंपल (सांसद) इसका जवाब देंगी।
डिंपल : अच्छा सवाल है, हमारी सरकार न्यूट्रिशन के लिए अच्छा काम रही है। हम इस पर तीन साल से काम कर रहे हैं। 14 लाख बच्चों की पहचान की गई है। इन्हें आयरन व साल्ट दिया जा रहा है। इस मिशन पर काम करने के लिए जल्द सरकार व उद्योगपति रतन टाटा के साथ समझौता होगा।
यह दृश्य शुक्रवार को विधानभवन के सेंट्रल हाल में लगी बाल संसद के हैं, जहां ढेर सारे स्कूली बच्चे व सामने सीएम अखिलेश यादव व डिंपल यादव, विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय व नगर विकास मंत्री आजम खां व बाल अधिकार सरंक्षण आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह व अन्य लोग मौजूद रहे। मिड डे मील से जुड़ा सवाल इलाहाबाद की सुहानी मिश्रा का, न्यूट्रिशन संबंधी सवाल गौतमबुद्धनगर की मोनिका ने पूछा। सवाल-जवाब का सिलसिला इसी तरह कुछ यूं आगे बढ़ता गया।
अमिट स्मृतियां लेकर लौटे बच्चे
‘बाल मन की बात अखिलेश सरकार के साथ।’ कल्पना से परे एक दुनिया में पहंुचकर सीधे सूबे के मुखिया से मुखातिब होने का यह मौका बच्चों के लिए स्मृतियों को सहेजकर उसे अमिट बना लेने का मौका भी था। विधान भवन में ‘सेल्फी’ या दोस्तों के साथ समूह में फोटो खिंचवाने लेने के बाद उनके चेहरे पर संतुष्टि का भाव साफ दिख रहा था। बलरामपुर, बहराइच, सीतापुर व फैजाबाद जैसे जिलों से इस आयोजन में हिस्सा लेने आए बच्चे उत्साह से लबरेज थे।
बच्चों ने सीएम के सामने उठाए यह सवाल
नोएडा डीपीएस के अंशुमत दिनेश ने बच्चों के कुपोषण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह सवाल कभी चुनाव का मुद्दा नहीं बनता। यूपी में औसत से कम वजन वाले बच्चों की तादाद 36 प्रतिशत है। वाराणसी की यास्मीन ने बाल उत्पीड़न पर कहा कि गांव के दबंग लड़के मेरा पीछे पड़ गए। मैंने स्कूल जाना बंद कर दिया। मैंने 1090 में शिकायत की लेकिन कुछ नहीं हुआ। मानवाधिकार समिति से शिकायत की तो उसने कार्रवाई करायी और उन लोगों को जेल जाना पड़ा। बलरामपुर से आए शमशाद अहमद ने कहा कि अच्छी योजनाओं का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पहुंच रहा है। अलीगढ़ के मो. युनूस ने कहा कि तरक्की का पैमाना क्या हो,इस पर विचार करना चाहिए। गौतमबुद्ध नगर की शैली भाटी ने कहा कि शादी ब्याह में काफी भोजन बर्बाद होता है। इसे रोकने की जरूरत है।
अपने बच्चों को बढ़ते देखने का अनुभव मिस कर रहा हूं
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बाल संसद में एक ऐसा भी मौका आया जब भावुक से हो गए। बोले-मेरे भी बच्चे हैं। वह भी बड़े हो रहे हैं लेकिन उनके बड़े होने के अनुभव को मैं मिस कर रहा हूं।
सीएम यहीं रुके नहीं बोले-बच्चों मेहनत व ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं होता। जिंदगी में कभी शार्टकट न अपनाना। खूब खेलो, खूब पढ़ो और खूब खाओ लेकिन मोटापा न बढ़ने देना। कहा-बहुत कुछ बदल गया है। उनके जमाने में टीवी पर चित्रहार आता था। पुराना खाना छूट रहा है। हम तो अब भी तिल के लड्डू खाते हैं। हम तो नहीं लेकिन ‘ नेता जी ’ ने गरीबी में रह कर संघर्ष किया। हम लोगों को उन्होंने कहां से कहां पहुंचा दिया। गायक मोहम्मद रफी भी गरीबी से लड़ते हुए आगे बढ़े और अपनी पहचान बनाई। जन्मजात प्रतिभा को आगे बढ़ाना जरूरी है।’ सीएम बोलते जा रहे थे बच्चे एक टक सुनते रहे।