रायबरेली: परिषदीय प्राथमिक, जूनियर और माध्यमिक कालेजों में शैक्षिक स्तर के साथ-साथ विभागीय योजनाओं को बढ़ाने के लिए सैकड़ों की संख्या में नोटिसें जारी की गई, लेकिन विभाग की ओर से जारी हुई नोटिसें बे-दम साबित हुई। क्योंकि न शिक्षकों की कार्यशैली बदली और न ही शैक्षिक स्तर में सुधार हो सका। सबसे अधिक लापरवाही ब्लाक संसाधन केंद्रों पर तैनात एबीआरसी द्वारा बरतीं गई। क्योंकि उन्होंने स्कूलों की स्थिति परखने के बजाए ब्लाक संसाधन केंद्रों पर आराम फरमाते हुए कागजी कोरम पूरा करने में जुटे रहे।
बेसिक शिक्षा विभाग में तत्कालीन बीएसए के समय से लेकर अब तक शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने के लिए नोटिस-पे-नोटिस जारी की जा रही है। ताकि परिषदीय स्कूलों में पंजीकृत छात्रों को बेहतर शिक्षा और योजनाओं का लाभ मिल सके। लेकिन नोटिसें जारी होने के बाद भी परिषदीय स्कूलों में हालात पटरी पर नहीं आ रहे है। जबकि शिक्षकों को नोटिस जारी करने का उद्देश्य था कि शिक्षा के स्तर और सरकारी योजनाओं की रफ्तार बढ़ाना। वहीं विभागीय लापरवाही के चलते योजनाएं या तो कमीशनबाजी का शिकार हुई या फिर फाइलों में कैद होकर रह गई। इन नोटिस में शिक्षकों, लिपिक और संविदा कर्मियों को निर्देश दिए गए थे कि अपनी कार्य प्रणाली में सुधार करें। डीआईओएस व बीएसए कार्यालय से जारी हुई नोटिस के बाद भी न तो योजनाएं ठीक तरीके से चली और न ही शिक्षा का ग्राफ बढ़ सका। इसका सीधा असर छात्रों के भविष्य पर पड़ता हुआ दिख रहा है। प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक रामसागर पति त्रिपाठी ने बताया कि माध्यमिक कालेजों में शैक्षिक स्तर सुधार करने के लिए निर्देश दिए जाएंगे। जहां भी खामियां है, उन्हें सुधारने के निर्देश जारी किए जा रहे है। वहीं बीएसए ने बताया कि शैक्षिक सुधार के लिए नोटिसें जारी कर शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है। ताकि छात्रों के भविष्य पर असर न पड़े।