जागरण संवाददाता, सलेमपुर, देवरिया : नगर क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में एनजीओ द्वारा मध्याह्न भोजन की आपूर्ति मानक के विपरीत की जा रही है। इसको लेकर अब छात्रों में आक्रोश बढ़ने लगा है। शुक्रवार को प्राथमिक विद्यालय इचौना के छात्रों ने भोजन करने से इंकार कर दिया और उस भोजन को नाली में ले जाकर फेंक दिया गया। इससे प्रधानाध्यापक ने खंड शिक्षा अधिकारी व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी अवगत करा दिया है। उस भोजन की सैम्पल भी जांच को भेज दी गई है।
परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए दशक पूर्व मध्याह्न भोजन योजना संचालित की गई। पहले बच्चों को खाद्यान्न ही दे दिया जाता था, लेकिन बाद में यह निर्णय हुआ कि उन्हें विद्यालय में ही पका कर भोजन दिया जाएगा। अब नगर क्षेत्र के बच्चों को दो महीने से एनजीओ द्वारा भोजन पका कर दिया जा रहा है। शुरुआती दिनों से इसकी सर्विस अच्छी नहीं है और इसके गुणवत्ता पर ही सवाल उठने लगा है। शुक्रवार को एनजीओ द्वारा प्राथमिक विद्यालय इचौना पर मध्याह्न भोजन में तहरी भेजा गया। जब बच्चे भोजन करने आए और उसकी गुणवत्ता को देख भोजन करने से इंकार कर दिया। इसकी शिकायत बच्चों ने प्रधानाध्यापक जयप्रकाश ¨सह से की। शिकायत के बाद जयप्रकाश ¨सह ने इसकी सूचना बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज मिश्र, खंड शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार तिवारी समेत अन्य को दी। सूचना के बाद मौके पर एबीआरसी पहुंचे और सैम्पल पैक कराया। साथ उसको जांच के लिए भेज दिया। एबीआरसी के सामने ही बच्चों ने भोजन को नाली में फेंक दिया। खंड शिक्षा अधिकारी विनोद तिवारी ने कहा कि अभी मैं भाटपाररानी में एक जांच में आ गया हूं। जांच करने के बाद वहां पहुंच रहा हूं और फिर मामले को देखूंगा। हाल के दिनों में एनजीओ की गुणवत्ता पर शिकायत मिल रही है। अगर गड़बड़ी होगी तो इसकी रिपोर्ट कार्रवाई के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी को दे दी जाएगी।
एनजीओ का यह भी कर रहे हैं विरोध
-पहले नगर से लेकर ग्रामीण इलाकों के परिषदीय विद्यालयों में मध्याह्न भोजन विद्यालय पर ही बनता था। उसको बनाने के लिए रसोइया की तैनाती की गई थी। दो माह पहले नगर क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी एनजीओ को देकर पहले से काम कर रही रसोइया को हटाया जाने लगा। तभी से रसोइया भी आंदोलित हैं। उनका कहना है कि विद्यालय में भोजन पकता है तो उसमें गुणवत्ता रहती है।