मैनपुरी : शिक्षामित्रों की उम्मीदों को लगे पंख, उच्च न्यायालय के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाई तो शिक्षामित्रों की आंखों में चमक लौट आई
मैनपुरी : दो माह से निराश शिक्षामित्रों की उम्मीदों को अब पंख लग गए हैं। शिक्षामित्रों की नियुक्ति को अवैध करार देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाई तो शिक्षामित्रों की आंखों में चमक लौट आई है। उनमें अब राहत मिलने की उम्मीद जागी है।
जिले में एक दशक पहले परिषदीय विद्यालयों में 2160 शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई थी। इन्हें बाद में सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित कर दिया गया था। दिसंबर 2014 में सहायक अध्यापक बनाने की प्रक्रिया पूरी हुई और शिक्षामित्र स्कूल में सहायक अध्यापक के रूप में काम करने लगे। जिले के करीब 1100 शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में दो से तीन माह का वेतन भी मिल गया था। करीब दो माह पूर्व उच्च न्यायालय ने इनकी नियुक्ति को अवैध बताया और पद से हटाने का फैसला सुनाया। शिक्षामित्रों ने आंदोलन किया तो कुछ ने जान देने की कोशिश की। एक महिला शिक्षामित्र के विकलांग पति ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। तब से
शिक्षामित्रों का एक-एक दिन इस उम्मीद में कट रहा था कि शायद उन्हें फिर से शिक्षक बनने का मौका मिल जाए। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है। ऐसे में शिक्षामित्रों में खुशी की लहर है।
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क्या कहते हैं शिक्षा मित्र
'शिक्षामित्रों को सर्वोच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है। उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट शिक्षामित्रों के हितों को मद्देनजर रखते हुए और उनकी परिस्थितियों के कारण उनके हक में फैसला आएगा। शिक्षामित्र न तो किसी अन्य नौकरी के लायक हैं और न ही उनके पास नौकरी रही।
सुमन यादव, संयोजक शिक्षामित्र, संघर्ष मोर्चा।
'शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। तमाम शिक्षामित्र आत्महत्या कर चुके हैं। ऐसे में ये फैसला शिक्षा मित्रों के हक में है। हमें हमारा हक मिलेगा इसकी पूरी उम्मीद है।
सुषमा देवी, शिक्षामित्र ।
'हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्र सदमे में थे। लेकिन अब उन्हें राहत मिलने की उम्मीद जागी है। पूरी मेहनत से स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षामित्रों के घरों में मायूसी छाई है। इस फैसले से उन्हें राहत मिली है।
शाहनुमा अल्वी, शिक्षामित्र।
📌 मैनपुरी : शिक्षामित्रों की उम्मीदों को लगे पंख, उच्च न्यायालय के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाई तो शिक्षामित्रों की आंखों में चमक लौट आई
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