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कन्नौज : प्राथमिक स्कूलों में कांवेंट की पढ़ाई नहीं आई रास

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प्राथमिक स्कूलों में कांवेंट की पढ़ाई नहीं आई रास

कन्नौज, जागरण संवाददाता : वर्ष 2015 शुरू हुआ था तब अफसरों ने जिले के प्राथमिक विद्यालयों में कान्वेंट की तर्ज पर पढ़ाई कराने का दावा किया था, लेकिन वर्ष तो बीत गया, लेकिन शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं आया। न तो छात्रों की संख्या के सापेक्ष अध्यापकों की तैनाती हो पाई और न ही नये विद्यालय ही बन पाए। इस वर्ष बच्चों को शुरुआत से अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित करने के लिए दो स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती तो की, लेकिन पूरा शैक्षिक सत्र बीत गया, लेकिन यहां के बच्चे जानवरों व फलों के नाम भी नहीं बता पाए। अभी भी कई जर्जर विद्यालयों को अपना सुरक्षित भवन नहीं मिला तो दूसरे भवनों में पढ़ाई हो रही है। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे प्राथमिक शिक्षा विभाग को सरकार से तब राहत मिली जब शिक्षामित्रों को शिक्षक पद पर समायोजित कर दिया गया, लेकिन जितनी राहत नहीं मिली थी उससे ज्यादा परेशानी तब और बढ़ गई जब इन समायोजित शिक्षकों को न्यायालय से अवैध करार दे दिया गया। इस फैसले के बाद प्राथमिक शिक्षा की रीढ़ समझे जाने वाले शिक्षामत्र कानूनी लड़ाई में ही उलझे रहे। इससे आधे साल शिक्षा व्यवस्था प्रभावित बनी रही।

जिले में घिसट रही बेसिक शिक्षा

जिले में 1664 परिषदीय विद्यालय हैं। इसमें 1211 प्राथमिक व 453 उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित है। इसमें कुल 1,52,275 बच्चे पंजीकृत हैं। इसमें 1,19,848 प्राथमिक व 32,427 उच्च प्राथमिक विद्यालय में छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक शिक्षक पर 30 बच्चे होने चाहिए। वहीं जिले में कुल 3351 शिक्षक तैनात है। इसमें 2151 प्राथमिक व 1197 उच्च प्राथमिक विद्यालय में तैनात हैं। इस हिसाब से जिले में 1363 शिक्षकों की कमी है। इसके अलावा जर्जर भवनों के निर्माण के लिए विभाग को बजट नहीं मिला है। इसकी वजह से बच्चे भययुक्त वातावरण में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।

नहीं बन सके जर्जर विद्यालय

शहर में मोहल्ला कागजियाना और अहमदी टोला में स्थित प्राथमिक विद्यालय जर्जर थे। कई वर्षों से इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे विशुनपुर टीला में स्थित बरातघर में चल रहे हैं। इसी तरह महमूदपुर बीजा के स्कूल की खिड़कियां कोई उखाड़ ले गया तो उसे दोबारा नहीं लगाया जा सका।

माध्यमिक शिक्षा विभाग का हाल

जिले में माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा 303 इंटर कालेज संचालित है। इसमें राजकीय, सहायता प्राप्त व वित्तविहीन कालेज शामिल हैं। राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों में 700 शिक्षकों की तैनाती है। वहीं वित्तविहीन कालेजों में 2200 शिक्षक तैनात है। माध्यमिक विद्यालयों को पिछले तीन वर्षों से स्कूलों के निर्माण के लिए बजट नहीं मिला है। इसकी वजह से इंटर कालेजों संसाधनों की काफी समस्याएं हैं। इससे बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है।

महाविद्यालयों में भी शिक्षा तोड़ती दम

जनपद में 48 महाविद्यालय है। इसमें राजकीय, सहायता प्राप्त व वित्तविहीन कालेज शामिल हैं। इन शिक्षकों में विषय अध्यापकों की काफी कमी है। इसमें राजकीय महिला डिग्री कालेज अकबरपुर सरायघाघ है। कई विषय अध्यापकों की तैनाती न होने से छात्र-छात्राओं को समय से पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाया जा पा रहा है।

विद्यालयों में नहीं कोई मानक

प्राथमिक विद्यालय तेरामल्लू में प्रधानाध्यापक रामप्रकाश समेत अतुल कुमार, युद्धिष्ठर, कृष्ण कुमार समेत तीन अनुदेशकों की तैनाती है। इसमें कक्षा छह में 41, कक्षा सात में 38 व कक्षा आठ में 29 छात्र-छात्राएं पंजीकृत है। सोमवार को इस विद्यालय में 64 छात्र उपस्थित हुए थे। इस विद्यालय में शिक्षकों की तैनाती में कोई मानक नहीं है। प्राथमिक विद्यालय महमूदपुर बीजा में कुल 75 बच्चे पंजीकृत है। इस विद्यालय में दो शिक्षक की तैनाती की गई है। इसके अलावा जिले में कई विद्यालय ऐसे है जहां अधिक बच्चों पर कम बच्चे तो कहीं अधिक बच्चों पर कम शिक्षक तैनात हैं। इसकी वजह से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं आ पा रहा है।

नए वर्ष से शिक्षा की गुणवत्ता में आएगा सुधार

बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की उपस्थित सुनिश्चित करने के लिए एसएमएस की सुविधा शुरू की है। इसमें विद्यालय में शिक्षक के आते ही वह संबंधित बीईओ व बीएसए को मैसेज भेजेगा। इसमें विद्यालयों में उपस्थित छात्रों की संख्या के अलावा कई विवरण होता है। इससे शिक्षकों की उपस्थित में काफी सुधार आया है। इसके अलावा विभागीय अफसरों द्वारा विद्यालयों को गोद लिया जाएगा। इन विद्यालयों पर वह खास निगाह रखेंगे। इससे यहां के छात्र अपने पाठ्यक्रम में मजबूत हो सके। इसके अलावा जिला प्रशासन द्वारा माध्यमिक व डिग्री कालेजों में सुधार के कदम उठाए जा रहे हैं।

अफसर बोले

जिला प्रशासन की मदद से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लगाने के लिए बराबर प्रयास किए जा रहे हैं। बीईओ, सह-समन्वयक व संकुल प्रभारियों को प्रतिदिन विद्यालयों का निरीक्षण कर लापरवाह शिक्षकों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा प्रत्येक सप्ताह को जिलाधिकारी द्वारा अफसरों की समीक्षा बैठक की जाती है। इसमें सुधार के लिए कदम उठाए जाते हैं। छोटी-छोटी कमियों को सही ही दुरुस्त कर लिया जाएगा।

-रामकरन यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी।

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