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कानपुर : माननीयों की सिफारिश पर बने परीक्षा केंद्र!

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डॉ. सुरेश अवस्थी, कानपुर :

यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए कालेजों के केंद्र बनवाने को बड़ी संख्या में माननीयों ने सिफारिशें की हैं। सवाल है कि परीक्षा केंद्र बनने से कालेज प्रबंधन को कौन से ऐसे बड़े लाभ मिलते हैं, जिनके लिए वे पूरी ताकत झोंकते हैं। यहां तय केंद्रों में करीब एक दर्जन ऐसे हैं जिनके लिए माननीयों ने सिफारिश की है।

परीक्षा केंद्र निर्धारण करने वाली जिला अधिकारी की अध्यक्षता वाली जनपदीय समिति को केंद्र बनाने के लिए कालेजों का चयन जिला प्रशासन की जांच आख्या के आधार पर करना होता है। इस बार जिला प्रशासन केंद्रों की संख्या बढ़ाने के सख्त खिलाफ था फिर भी पिछले साल के मुकाबले 15 परीक्षाकेंद्र बढ़ गए। इनमें पांच जनपदीय केंद्र निर्धारण समिति ने बढ़ाए और दस मंडलीय समिति ने। जानकारों की मानें तो बढ़े केंद्रों में से अधिकांश के लिए स्थानीय विधायकों, एमएलसी व मंत्रियों ने पत्र लिखे थे।

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इन्होंने की सिफारिशें

सर्वाधिक सिफारिशें एक स्थानीय सपा विधायक की हैं। इसके अलावा शिक्षक विधायक, स्नातक एमएलसी, दो अन्य विधायकों, सत्ता पार्टी के कुछ नेताओं, एक सांसद, एक पूर्व सांसद, दो मंत्रियों व एक पूर्व मंत्री ने परीक्षाकेंद्र बनाने की सिफारिश की है।

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केंद्र बनाने से कालेजों का इंकार

जहां कई कालेजों ने केंद्र बनाने के लिए सिफारिशें लगवाईं वहीं अनुदान सूची में शामिल लल्लू प्रसाद इंटर कालेज व गंगादीन गौरी शंकर इंटर कालेज तथा स्ववित्तपोषी आरकेडी चौधरी इंटर कालेज ने डीआईओएस को केंद्र बनाने से मना किया था। कालेज प्रशासन का आरोप है कि शुचितापूर्ण परीक्षा कराने के बावजूद पिछली परीक्षा में उन्हें संवेदनशील घोषित कर दिया गया जिससे उनकी छवि को धक्का पहुंचा है।

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परीक्षा केंद्रों की तस्वीर

पिछले साल बने थे : 223

इस बार केंद्र बने : 238

जिला समिति ने बनाए थे : 228

मंडलीय समिति ने जोड़े : 10

परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ी : 5936

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केंद्र बने कालेजों की तस्वीर

अनुदानित कालेज बने : 98

राजकीय कालेज बने : 09

प्रतिष्ठानों के कालेज बने : 03

नगर निगम के कालेज बने : 03

वित्तविहीन कालेज बने : 125

इनमें पहली बार केंद्र बने : 12

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कुछ केंद्रों पर उठे सवाल

पिछले साल एक परीक्षा केंद्र पर पहुंच मार्ग सुगम न होने को लेकर सवाल उठे थे। इस पर उसे केंद्र न बनाने का फैसला हुआ पर बाद में सूची में शामिल हो गया। पिछली परीक्षा में एक केंद्र को लेकर डीडीआर ने भारी नकल की शिकायत की थी। उसे इस बार भी केंद्र बनाया गया। नये बने केंद्रों में अधिकतर कालेजों का स्थलीय निरीक्षण नहीं हो सका।

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''केंद्र बनने से छात्राओं को स्वकेंद्र की सुविधा मिल जाती है। कालेज की साख बढ़ती है, प्रवेश बढ़ते हैं। मनचाहे कालेज के परीक्षार्थी केंद्र पर आ जाएं तो और भी लाभ होते हैं। इसीलिए केंद्र बनवाने की सिफरिशें आती हैं।'' - उपेंद्र गंगवार, पूर्व सचिव यूपी बोर्ड

''केंद्र बनाने के लिए सिफारिशें तो आती ही हैं पर बोर्ड व शासन द्वारा तय मानकों तथा प्रशासन के स्थलीय जांच के बाद ही केंद्र बनाए गए हैं।'' - मुहम्मद इब्राहिम, डीआईओएस

''किसी सिफारिश या दबाव में केंद्र नहीं बनते हैं। छात्र संख्या व निर्धारित नियमों के आधार पर केंद्र बनाए हैं।''- राजेंद्र प्रसाद, संयुक्त शिक्षा निदेशक।

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