बुलंदशहर: बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में मिड-डे मील बनवाया जाता है, लेकिन पिछले कई महीने से विभाग द्वारा विद्यालय खाते में माध्यान्ह भोजन का पैसा ही नहीं भेजा गया है। जिससे कई स्कूलों में तो मिड-डे मील बनना ही बंद हो गया है जबकि कुछ स्कूलों में शिक्षक जेब से मध्यान्ह भोजन बनवा रहे हैं। शिक्षा विभाग की इस लचर कार्य प्रणाली से शिक्षकों में आक्रोश है।
बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में मिड-डे मिल बनाया जाता है। इसके लिए शासन से करोड़ों रुपए की ग्रांट आती है और उस ग्रांट को विभागीय अधिकारियों द्वारा स्कूलों के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है, जिससे पूरे महीने बच्चों को चार्ट के आधार पर मध्यान्ह भोजन खिलाया जाता है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि इस वर्ष शासन से ही मिड-डे मील की ग्रांट लेट आई थी। अब शिक्षा विभाग के अधिकारी ग्रांट को ट्रांसफर नहीं कर रहे हैं, जिस कारण कई स्कूलों में मध्यान्ह भोजन ही नहीं बन रहा है। कुछ स्कूलों में प्रधानाध्यापक अपने स्तर पर मध्यान्ह भोजन तैयार करा रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि बिना बजट के बच्चों को भोजन मिलने की समस्या हो जाएगी और इस सबके लिए स्वयं बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी जिम्मेदार होंगे। उन्होंने कहा कि एक माह से ज्यादा विभाग के पास ग्रांट आए हुए हो गया है, लेकिन कोई भी अधिकारी मांग करने के बावजूद भी गंभीरता से नहीं ले रहा है। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र यादव ने कहा कि शीघ्र ही मिड-डे मील की ग्रांट स्कूलों में नहीं पहुंची तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा। बेसिक शिक्षा अधिकारी पूरन ¨सह ने बताया कि सभी स्कूलों के खातों को फीड कराया जा रहा है। शीघ्र ही सभी स्कूलों के एकाउंट में पैसा भेज दिया जाएगा। किसी स्कूल में ऐसी स्थिति नहीं आएगी कि भोजन तैयार न हो।