आंखोंदेखी
बलरामपुर) :
शिक्षा के प्रति अध्यापकों की उदासीनता नौनिहाल की बुनियाद कमजोर कर रही है। जागरण टीम ने प्राथमिक विद्यालयों में प्राथमिक शिक्षा का सच जानना चाहा तो वहां की जो भयावह तस्वीर दिखी उससे तो बदहाल शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आने से रही। एक विद्यालय को छोड़कर किसी भी विद्यालय में अध्यापक पढ़ाते नहीं दिखे। अब अध्यापकों की कमी, कमोवेश समस्या नहीं रह गई है, लेकिन स्कूलों में तैनात अध्यापकों की पढ़ाई के प्रति उदासीनता के कारण छात्रों का पढ़ने के प्रति मोहभंग हो रहा है। यही कारण है कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम होती जा रही है। इन्हीं समस्याओं की हकीकत बयां करती रिपोर्ट -
केस एक- समय पूर्वाह्न 10.39 स्थान - प्राथमिक विद्यालय रमईडीह प्रथम। यहां पर सभी बच्चे धूप में बैठे थे, अध्यापक भी यहां मौजूद थे। यहां कुल 100 बच्चों का नाम रजिस्टर में दर्ज है। जिसमें केवल 41 बच्चे उपस्थित थे। नौव्वा की प्रधानाचार्या सुनयना को यहा का अतिरिक्त प्रभार है। इनका कहना है कि यहां किसी भी अध्यापक की नियुक्ति नहीं है। एक प्रशिक्षु अध्यापक लक्ष्मी प्रकाश व शिक्षामित्र गरिमा श्रीवास्तव ही तैनात है। बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई समय सारिणी व टाइम लाइन यहां मौजूद नहीं था। टीएलएम (टीच¨रग लर्निग मैटेरियल) का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। शौचालय में गंदगी इतनी की बच्चे उसमें जाने से कतरा रहे थे। प्रधानाचार्य ने बताया कि सफाई कर्मियों के न आने के कारण शौचालय में गंदगी बनी रहती है। मध्याह्न भोजन नहीं बन रहा है।
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केस दो- समय पूर्वाह्न 10.50 बजे। स्थान प्राथमिक विद्यालय रमईडीह द्वितीय । इस विद्यालय में पढ़ाने के लिए कुल पांच अध्यापक तैनात हैं लेकिन यहां भी बच्चों को पढ़ाने के बजाए सभी अध्यापक एक साथ बैठकर बाते करते दिखे। यहां पंजीकृत कुल 109 बच्चों के सापेक्ष केवल 13 छात्र ही उपस्थित थे। पढ़ाने के लिए यहां पांच अध्यापक तैनात होने के बावजूद उपस्थिति बहुत कम रही। प्रधानाध्यापक कृष्णा जायसवाल का कहना है कि यहां के बच्चे बगल प्राइवेट विद्यालयों में जाते है।
केस तीन : समय अपराह्न 1.20 बजे प्राथमिक विद्यालय सिकटिहवा द्वितीय । विद्यालय में चार में से तीन अध्यापक उपस्थित मिले। शिक्षामित्र नीलू शुक्ला कक्षा तीन में गणित पढ़ाते मिली। इसी तरह अन्य दो प्रशिक्षु अध्यापक बरखा गर्ग व प्रतिभा भी अन्य कक्षाओं में बैठी दिखीं। । समय सारिणी तो नहीं बनाई गई है, लेकिन यहां पर बच्चों की कापियां देखकर पता चलता है कि प्रतिदिन होमवर्क दिया जाता है। यहां कुल 123 बच्चों में 101 बच्चे उपस्थित मिले। मध्याह्न भोजन में चावल दाल बनाया गया था। शौचालय गंदगी से भरा हुआ था। शिक्षामित्र नीलू ने बताया कि सफाई कर्मी के कभी न आने के कारण शौचालय की सफाई नहीं हो पाती। वहीं प्रशिक्षु अध्यापक प्रशांत कुमार यहां कभी कभार ही आते हैं। बच्चों ने बताया कि महीने में दो से तीन दिन ही विद्यालय में आते हैं।
केस चार : समय अपराह्न दो बजे। प्राथमिक विद्यालय परसापलिया में 145 में से 70 बच्चे मौजूद रहे। यहां दो शिक्षामित्र व एक अध्यापक मनोरमा तैनात हैं।
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स्कूलों में पठन-पाठन को सुचारू बनाए रखने की जिम्मेदारी शिक्षकों की है। कहीं भी लापरवाही मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वैसे भी इस समय विद्यालयों का औचक निरीक्षण कर लापरवाहों पर कार्रवाई की जा रही है।
-जय सिंह
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी