जीपीएफ से कौन ले गया 1.50 लाख
सीतापुर : तीन साल पहले एक शिक्षक की भविष्य निधि (जीपीएफ) से डेढ़ लाख रुपये निकल गए। यह जानकारी उसे पैसा निकलने के दो साल बाद सेवानिवृत्त होने के उपरांत मिली। जिससे परेशान शिक्षक ने विभागीय अफसरों के पास दौड़ लगानी प्रारंभ कर दी। मामला नहीं सुलझने पर जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक से लेकर शिक्षा निदेशक तक पैरवी की, इसके बाद भी मामले में पीड़ित शिक्षक की कोई सुनवाई नहीं हुई। दौड़ लगाते-लगाते थक हार चुके शिक्षक ने कई बार मामला तहसील दिवस में भी दर्ज कराया पर कुछ नहीं हो सका है। इसी क्रम में उन्होंने 19 जनवरी को फिर तहसील दिवस में डीएम के सामने पेश होकर उन्हें पूरे प्रकरण से अवगत कराया है। इसके उपरांत भी मामले में कार्रवाई गति पकड़ते नहीं दिख रही है। मामला सकरन ब्लॉक के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कल्ली के राकेश चंद्र जायसवाल से जुड़ा है। जायसवाल इस विद्यालय में प्रधान अध्यापक पद पर तैनात थे। यह 30 जून 2014 को सेवानिवृत्त हो गए थे। बुजुर्ग शिक्षक जायसवाल बताते हैं कि सेवा पूरी होने के बाद उन्होंने जीपीएफ भुगतान के लिए वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय में अर्जी दी। जिस पर उनके जीपीएफ में डेढ़ लाख रुपये की कटौती कर शेष 8.75 लाख रुपये उन्हें भुगतान किया गया। डेढ़ लाख रुपये की कटौती का कारण पूछा तो पता चला कि सेवानिवृत्त होने के दो साल पहले उनके जीपीएफ से एक नवंबर 2012 को नॉन रिफंडेबल लोन के तौर पर चेक जारी हुई है। जिसका भुगतान भी हो चुका है। शिक्षक राकेश चंद्र जायसवाल का कहना है कि उनके जीपीएफ से नॉन रिफंडेबल लोन के तौर पर जारी चेक और भुगतान आदि के लिए उन्होंने वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय में कभी भी प्रार्थना पत्र भी नहीं दिया और न ही उन्होंने ऐसा कोई भुगतान ही प्राप्त किया है। उनका कहना है कि वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय से उनके जीपीएफ के साथ धोखाधड़ी हुआ है। परेशान जायसवाल का कहना है कि इस मामले को लेकर वह काफी व्यथित हैं। उनकी अर्जियों पर किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हो रही है।
बोले, वित्त एवं लेखाधिकारी
यह मामला मेरे संज्ञान में है। चेक कटने के बाद संबंधित रजिस्टर पर इनके द्वारा रिसी¨वग है। इसके बाद कोषाधिकारी ने भी संबंधित खाते में भुगतान के लिए चेक को इंडोर्स किया है। ऐसे में यह कहना उचित नहीं होगा कि किसी ने इनके जीपीएफ का पैसा फर्जी तरीके से निकाला है। फिलहाल यह मामला भारतीय स्टेट बैंक से ट्रेस हो सकता है, जिसके लिए मैंने और वरिष्ठ कोषाधिकारी ने भी तीन माह पहले स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक को मामले की जांच के लिए पत्र लिखा था, उसका जवाब नहीं आया है। इसलिए अब हम बैंक को फिर पत्र लिखेंगे।
- सत्येंद्र पाल, वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा