प्राइमरी के बच्चों को दे रहे हाईटेक तकनीक से ज्ञान
छिबरामऊ, संवाद सहयोगी : यदि मन में लगन हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है। कहा जाता है कि प्राथमिक विद्यालयों में संसाधनों का अभाव रहता है, लेकिन ऐसे ही विद्यालय में तैनात एक शिक्षक हैं, जो कि किताबी ज्ञान को अपने लैपटाप पर तराशकर बच्चों को हाईटेक तकनीक से शिक्षा मुहैया करा रहे हैं। इसके लिए वह अपने निजी संसाधनों का उपयोग करते हैं। अपने दम पर प्राथमिक विद्यालय में डिजिटल क्लास तो नहीं, लेकिन डिजिटल तरीका जरूर अपनाया। वह प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की रुचि बढ़े इसके लिए मोबाइल पर ऐप भी तैयार कर रहे हैं।
यहां बात हो रही है गुगरापुर ब्लाक क्षेत्र में एक प्राथमिक विद्यालय में तैनात शशिकांत शुक्ला की। इससे पहले वह प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर में सहायक अध्यापक के रूप में तैनात थे। उन्होंने वर्ष 2009 के विशिष्ट बीटीसी बैच के माध्यम से परिषदीय शिक्षा प्रणाली में प्रवेश किया और वर्ष 2011 में उन्हें प्रथम तैनाती मिली। परिषदीय विद्यालय के बच्चों को कांवेंट विद्यालय के बच्चों के बराबर खड़ा करने की सोच ने उन्हें एक नई दिशा दी। सबसे पहले उन्होंने किताबों को कंप्यूटर पर तैयार करना शुरू किया। इसके लिये उन्होंने चित्र सहित गणित व विज्ञान विषय को चुना। परिषदीय विद्यालयों की संचालित इन पुस्तकों को कंप्यूटर में पहुंचाने के बाद उन्होंने एक लैपटाप खरीदा और उसकी मदद से बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इसके लिये भी उन्होंने कक्षा बार बच्चों को अलग-अलग सिखाया। उन्होंने बच्चों को लैपटाप चलाना भी सिखाया। शिक्षा के इस तरीके को देखकर बच्चों में जिज्ञासा उत्पन्न होने लगी और उनका शिक्षा ग्रहण करने में मन लगने लगा। उन्होंने इस व्यवस्था को पूरे प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में लागू करवाने के लिए भी प्रयास किये और इसका डाटा तैयार कर परियोजना कार्यालय लखनऊ को भी भेजा। पिछले दो वर्ष से वह माइक्रोसाफ्ट कंपनी के स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर लखनऊ से भी इस कार्य में तकनीकी सहयोग ले रहे हैं। वह आगामी समय में प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने की योजना भी तैयार कर रहे हैं। वहीं हाल ही में उन्होंने बच्चों के लिये एक मोबाइल एप्स भी तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका दावा है कि इस मोबाइल ऐप के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई और सरल लगने लगेगी। हालांकि अभी वह इस एप्स को पहले विभागीय अधिकारियों व शासन के बीच ले जाना चाहते हैं। वहां से अनुमति मिलने पर उसको गूगल की मदद से सार्वजनिक करना चाहते हैं। सहायक अध्यापक शशिकांत शुक्ला का उद्देश्य है कि वह परिषदीय विद्यालय के बच्चों को भी उसी दर्जे की शिक्षा दें, जो कांवेंट के बच्चों को मिल रही है।