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सीतापुर : मध्यान्ह भोजन में निकली छिपकली, छात्रों को नहीं खिलाया गया खाना

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सीतापुर : मध्यान्ह भोजन में निकली छिपकली, छात्रों को नहीं खिलाया गया खाना

रेउसा-सीतापुर। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही एमडीएम योजना कभी भी नौनिहालों पर कहर बनकर टूट सकती है। सीतापुर केविकास खंड रेउसा में यह योजना पूरी तरह से धाराशायी ही नहीं हो रही बल्कि किसी भी समय कोई बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है। इस योजना केतहत बच्चों मेंं बटने वाले भोजन को बनाते समय लापरवाही बरती जा रही है। मानक पर साफ सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते कहीं सब्जी और दाल में घुन उतराते हुए दिखाई देते है तो कहीं बच्चों को खाना ही नहीं दिया जाता है। विगत दिवस विकास खंड रेउसा के महोलिया प्राथमिक विद्यालय में एमडीएम के तहत बच्चों को जो खाना दिया गया उसमें मरी हुई छिपकली पायी गयी।

जैसे ही विद्यालय केमास्टरों को खाने में छिपकली होने केजानकारी हुई कुछ देर केलिए हड़कम्प मचा गया उसकेबाद खाने को फे ंक दिया गया और बच्चों को चेतावनी दी गई कि वह इसका जिक्र कही न करें। लेकिन नौनिहालों ने अपने अपने अभिभावकों को जानकारी दी और यह बात पूरे क्षेत्र में फैल गयी। इस सम्बन्ध में हेड मास्टर ने बताया कि खाने में छिपकली नहीं थी बल्कि कीड़ा था। घटना क्रम पर प्रकाश डाला जाए तो पता चलता है कि विकास खण्ड रेउसा केप्राथमिक विद्यालय महोलिया में छात्र पढ़ रहेथे। उधर दूसरी तरफ एमडीएम केतहत खाना पकाया जा रहा है। खाना पकाते समय अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी और सब्जी केसाथ में छिपकली को भी पका दिया। जब खाना परोसने से खोला गया तो उसमें बच्चों ने ही छिपकली देखी। बच्चों मेंं अफरातफरी मच गयी और विद्यालय केअध्यापक भी मौकेपर आये। उन्होने बच्चों को समझाने की कोशिश की और खाने को फिंकवा दिया गया। चूंकि खाना बच्चों ने नहीं खाया इस कारण कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।

अगर बच्चों ने खाना खा लिया होता तो कोई बड़ा हादसा घट गया होता। गांव केही भारत यादव ने बताया कि खाना फेंक दिया गया है और खाने में छिपकली ही थी। जब इस सम्बन्ध में हेड मास्टर अरविन्द से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि बच्चे डर गये है। खाने में छिपकली नहीं थी बल्कि कोई कीड़ा था। इसके बावजूद भी सर्तकता को ध्यान में रखते हुए बने हुए खाने को फिंकवा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि रसोइये द्वारा बरती गई लापरवाही से इससे पूर्व भी कई बच्चे जनपद में ही बीमार पड़ चुके है। जांच के बाद पता चला था कि बच्चों के खाना बनाते समय जिस ऑयल का इस्तेमाल किया था वह ऑयल ही गलत था। जिम्मेदारों द्वारा ध्यान न देने का नतीजा है कि खाना खाने के लायक नहीं है।

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