महराजगंज : शिक्षा का हुआ भान,बेटियां भर रहीं उड़ान
महराजगंज : तराई के इस पिछड़े जिले में अब सभी को शिक्षा का भान हो गया है। चौका, चूल्हा का झंझावत के बीच घर की दहलीज लांघ यहां की बेटियां उड़ान भर रही है। इसकी पुष्टि हाईस्कूल व इंटर बोर्ड की परीक्षा से हुई। पढ़ाई में यहां की बेटियां बेटो से आगे निकल गई है। बोर्ड परीक्षा में इस वष 35309 हजार बेटो के सापेक्ष 37936 हजार बेटियां शामिल हुई। बेटियों की यह उड़ान अनायास नहीं है। इसमें माता-पिता का भी अप्रतिम योगदान है। नेपाल की तलहटी में बसा महराजगंज 1988 तक गोरखपुर जिले में था। दो अक्टूबर 88 को जिला बनने के बाद इस जिले के लोगों में जागरूकता आयी और विकास की मुख्य धारा से जुड़ने के लिए शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाने लगा। बेटे स्कूल जाने लगे पर बेटियों को चूल्हा-चौका तक सीमित कर दिया गया।
चिट्ठी लिखने तक की शिक्षा दिलाने के बाद बेटियों की पढ़ाई बंद करने की प्रथा का खात्मा 12 वर्ष बाद सन 2000 में शुरू हुआ। शासन ने भी इस ओर ध्यान दिया और स्कूल चलो रैली, पले बेटियां-बढ़े बेटियां का नारा दिया। शहर से लेकर गांव तक रैलियां निकाली गयीं और अभिभावकों को बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया गया। इसका बेहतर परिणाम निकलने में तेरह वर्ष और लगे तथा 2013 में पहली बार वह अवसर आया जब बेटों की तुलना में हाई स्कूल व इंटर बोर्ड की परीक्षा में बेटियों की संख्या बढ़ गयी। इसके बाद तो बेटियों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2014, 2015 व इस वर्ष 2016 में होने वाली बोर्ड परीक्षा में बेटियों ने उड़ान भरी और बेटों की तुलना में बोर्ड परीक्षा में बेटियां ज्यादा संख्या में शामिल हुईं।
बेटों से आग निकलने के लिए हालांकि बेटियों को कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। घर से स्कूलों के दूर होने पर भी हिम्मत नहीं हारी और पांच से दस किमी की दूरी साइकिल व आटो से तय कर पढ़ाई जारी रखी। शिक्षा के साथ ही खेलकूद के प्रति भी उनकी रुझान तेजी से बढ़ रही है। यहां की बेटियों ने ताइक्वांडो, जूडो-कराटे, एथलेटिक्स व फुटबाल में नेशनल खेला व मेडल जीते।
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बोर्ड परीक्षा में पांच वर्षों का तुलनात्मक आकंड़ा
बोर्ड परीक्षा वर्ष -- छात्र संख्या--छात्राओं की संख्या--आगे कौन
-2016-- 35709 छात्र --37936 छात्राए -- बेटियां आगे
-2015-- 32951 छात्र -- 38050 छात्राएं -- बेटियां आगे
-2014-- 32789 छात्र -- 37998 छात्राएं -- बेटियां आगे
-2013-- 29225 छात्र -- 33684 छात्राएं -- बेटियां आगे
-2012-- 32240 छात्र -- 31054 छात्राएं -- बेटियां पीछे
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जागरुकता अभियान का निकला सार्थक
परिणाम : जिला विद्यालय निरीक्षक
जिला विद्यालय निरीक्षक शिवचंद राम कहते हैं कि पिछले पांच वर्षों से चलाए जा रहे स्कूल चलो व पढ़े बेटियां बढ़े बेटियां अभियान का इस वर्ष सही मायने में सार्थक परिणाम निकला है। माता-पिता को प्रशासन मोटिवेट करने में सफल रहा और इसी का परिणाम है कि अब इस जिले के हर घर की बेटियां स्कूल जा रही हैं। बेटों की तुलना में बेटियां कहीं अधिक पढ़ाई व खेलकूद के प्रति सजग हैं और अब आने वाले वर्ष बेटियों के हैं। यहां की बेटियों ने ताइक्वांडो, जूडो-कराटे, फुटबाल, बैड¨मटन, एथलेटिक्स के नेशनल खेलों में प्रतिभाग किया और मेडल जीतकर जिले का मान बढ़ा चुकी हैं।