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इलाहाबाद : उच्चतर शिक्षा आयोग में आठ माह से ठप है काम

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इलाहाबाद : उच्चतर शिक्षा आयोग में आठ माह से ठप है काम

इलाहाबाद । सूबे के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में असिस्टेन्ट प्रोफेसर (प्रवक्ता) और प्राचार्य की भर्ती करने वाले उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की गतिविधियां पिछले आठ माह से ठप पड़ी हुई हैं। इस कारण प्रवक्ता के 1652 पदों पर भर्ती तो फंसी ही हुई है, दो हजार से अधिक पदों के लिए चयन प्रक्रिया भी नहीं शुरू हो पा रही है। इस आयोग के तीन सदस्यों डॉ. रामवीर सिंह यादव, डॉ. एके सिंह और डॉ. रूदल यादव की नियुक्ति सात सितंबर को हाईकोर्ट ने अवैध घोषित कर दी थी। 22 सितंबर को आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत आईएएस लाल बिहारी पांडेय की नियुक्ति भी हाईकोर्ट ने निरस्त कर दी थी। आयोग के सचिव डॉ. संजय सिंह की नियुक्ति का विवाद भी हाईकोर्ट में चल रहा है। आयोग में सिर्फ एक सदस्य डॉ. रामेंद्र बाबू चतुर्वेदी ही बचे हैं। शासन ने अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए आवेदन तो मांगे लेकिन अभी तक चयन नहीं हो सका है जबकि हाईकोर्ट से नियुक्ति निरस्त हुए पांच माह हो चुके हैं।आयोग में मार्च 2015 से ही कोई काम नहीं हो रहा है।

अगर इसी तरह से देरी हुई तो सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों को नए शैक्षिक सत्र में भी प्रवक्ता नहीं मिल सकेंगे। इस आयोग ने 46 विषयों के 1652 प्रवक्ताओं की भर्ती के लिए दिसंबर 2014 से मार्च 2015 तक चार चरणों में परीक्षा कराई थी। अभी इसका परिणाम घोषित नहीं हो सका है। उच्च शिक्षा निदेशक के जरिए सूबे के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में प्राचार्य व प्रवक्ता के रिक्त पदों का विवरण मांगा था। दो हजार से अधिक प्रवक्ता पदों के लिए विज्ञापन निकालने की तैयारी चल रही थी। अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति रद्द होने से न तो परीक्षा का परिणाम निकला और न ही नया विज्ञापन हो सका।

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