बदायूं :देश के प्रधानमंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी का क्या नाम है। प्रदेश की राजधानी क्या है। राष्ट्रीय पक्षी, पशु व फूल क्या है। ऐसे तमाम सवालों के जानकार बनेंगे परिषदीय विद्यालयों के छात्र-छात्राएं। विश्व भर में नाम रोशन करने वाले हरियाणा के बालक कौटिल्य की तरह परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को भी सामान्य ज्ञान का अच्छा जानकार बनाने की तैयारी की जा रही है। सामान्य ज्ञान व सामान्य जीवन से जुड़े सौ प्रश्नों की प्रश्नोत्तरी विभागीय स्तर से बनाई जा रही है। जो हर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को वितरित की जाएगी। परिषदीय शिक्षक-शिक्षिकाएं प्रश्नोत्तरी वाले सभी सवालों के जवाब छात्र-छात्राओं को रटाएंगे। कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। विभागीय अधिकारी समय-समय पर विद्यालय में जाकर निरीक्षण करेंगे। बच्चों के गलत जवाब देने या फिर जवाब न दे पाने का जिम्मेदार विद्यालय का स्टाफ होगा।
विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता जांचने को उच्चाधिकारियों के निरीक्षण के दौरान बेसिक शिक्षा विभाग को शर्मिदा नहीं होना पड़ेगा। ऐसे कुछ विद्यालयों की वजह से पूरे जिले की शिक्षा व्यवस्था को बदनामी नहीं उठानी पड़ेगी। उच्चाधिकारियों के निरीक्षण में अक्सर देखा जाता है कि बच्चों को विषय तो छोड़ो सामान्य सी बातों की जानकारी नहीं होती। अब विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को विषयों की जानकारी के साथ-साथ सामान्य ज्ञान की भी अच्छी जानकारी होगी। साथ ही सामान्य जीवन में होने वाले क्रियाकलापों को भी बेहतर ढंग से जान सकेंगे। बच्चों को छोटी-छोटी लेकिन इन महत्वपूर्ण बातों का ज्ञान देने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से सौ प्रश्न तैयार किए जा रहे हैं, परिषदीय विद्यालयों के कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक के हर बच्चे को प्रश्नों के जवाब तोते की तरह रटाए जाएंगे। कक्षा के विषय पढ़ाने के साथ-साथ शिक्षक-शिक्षिकाएं इन प्रश्नों के जवाब भी बच्चों को लिखकर व बोलकर पढ़ाएंगे। विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान किसी भी बच्चे के जवाब न देने की स्थिति में विद्यालय का स्टाफ इसका जिम्मेदार होगा। उनपर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा ने बताया कि जनवरी महीने में ही प्रश्न तैयार करके ब्लाक संसाधन केंद्रों को वितरित कर दिए जाएंगे। जहां से इन्हें विद्यालयों में पहुंचा दिया जाएगा और क्रियांवयन शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को विभिन्न बातों की जानकारी होना आवश्यक है। जिसके चलते यह निर्णय लिया गया है।