बाराबंकी : मृतक आश्रितों के चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति का मामला, उपेक्षा की टीस से भूख हड़ताल की नौबत
देश का भविष्य संवारने वाले गुरूजी के बच्चे स्वयं अपने भविष्य की लड़ाई लड़ने को मजबूर है। काफी संघर्ष के बाद अब वह भूख हड़ताल करेंगे। मामला मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाने वाले शिक्षणोत्तर कर्मचारियों का है। जो स्नातक ही नही परास्नातक व डाक्टरेट की डिग्री रखते है। मगर,शिक्षक पिता की मौत के बाद अनुकम्पा के तौर पर उन्हें चतुर्थ श्रेणी की नौकरी दी जा रही है।
📌 अब तक सेवारत ट्रेनिंग के बाद शिक्षक बनते थे आश्रित:
परिषदीय स्कूल के शिक्षकों की सेवा के दौरान मौत होने पर उनके आश्रितों को अन्य विभागों की तरह स्नातक योग्यता होने पर सेवारत ट्रेनिंग देकर शिक्षक बनाया जाता था। सेवारत प्रशिक्षण के दौरान उन्हें अनट्रेंड वेतन मिलता था। मगर, प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें पूर्ण शिक्षक का वेतन मिलता था।
📌 कानून में बदलाव ने बदल दी दुनिया:
परिषदीय स्कूल के शिक्षक की मौत के बाद आश्रित को मिलने वाली नौकरी को लेकर शिक्षा का अधिकार कानून में एक बदलाव ने उनकी दुनिया बदल दी। केंद्र सरकार ने शिक्षा के कानून में यह बदलाव वर्ष 2010 में किया। जिसको प्रदेश में 27 जुलाई 2012 को लागू कर दिया। उसके बाद 26 जुलाई 2012 तक स्नातक योग्यता रखने वाले को शिक्षक बनाया गया । मगर, एक दिन बाद ही 27 जुलाई को ऐसे आश्रितों को चतुर्थ श्रेणी मे नौकरी दी जाने लगी। ऐसे में उच्च योग्यता रखने के बाद गुरूजी के बच्चे चतुर्थ श्रेणी की नौकरी करने को मजबूर है।
📌 प्रदेश में लाखों जिले में हैं 325 शिक्षक:
यह समस्या महज उन 1500 शिक्षणोत्तर कर्मचारियों की नही है। जो अपने हक की लड़ाई लड़ रहे। यह समस्या प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में सेवा दे रहे उन सभी 484000 शिक्षकों और जिले के 325 शिक्षकों की है।
📌 बाराबंकी : मृतक आश्रितों के चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति का मामला, उपेक्षा की टीस से भूख हड़ताल की नौबत
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