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आगरा, लखनऊ : आगरा के बीआर अंबेडकर विवि में एसआईटी की कार्रवाई, फर्जी मार्क्सशीट मामले में बाबू लखनऊ से गिरफ्तार

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आगरा, लखनऊ : आगरा के बीआर अंबेडकर विवि में एसआईटी की कार्रवाई, फर्जी मार्क्सशीट मामले में बाबू लखनऊ से गिरफ्तार

आगरा/लखनऊ। डॉ. बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी के चर्चित फर्जी मार्क्सशीट प्रकरण में आरोपियों की गिरफ्तारी शुरू हो गई है। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने यूनिवर्सिटी के खंदारी कैंपस में तैनात क्लर्क रणवीर सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। उसे लखनऊ में कोर्ट में पेश किया गया। वहां से जेल भेज दिया गया।

रणवीर सिंह मूलरूप से फीरोजाबाद के रहने वाले हैं। मुकदमा अपराध संख्या तीन /2014 में उन्हें आरोपी पाया गया था। रणवीर सिंह 2005 से 2015 तक बीएड सेक्शन में तैनात रहे हैं। इस दौरान जाली मार्क्सशीट बेची गईं। इनका रिकार्ड गोपनीय चार्ट में दर्ज किया गया।
यह केस धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में दर्ज किया गया था। इसकी विवेचना पहले आगरा पुलिस ने की, लेकिन बाद में केस एसआईटी को ट्रांसफर कर दिया गया। मामले के विवेचक निरीक्षक पुतान सिंह ने पूछताछ व बयान दर्ज करने के लिए रणवीर को एसआईटी मुख्यालय लखनऊ बुलाया था। वहीं से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

अब निशाने पर 20 कर्मचारी और 10 अधिकारी

एक लिपिक की गिरफ्तारी के बाद एसआईटी की तैयारी 20 कर्मचारी और 10 अधिकारियों पर कार्रवाई करने की है। इनके खिलाफ केस पहले से दर्ज हैं। आगरा पुलिस ने इन्हें क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन एसआईटी ने इनके खिलाफ साक्ष्य जुटा लिए। पहले इन मामलों की सुनवाई आगरा कोर्ट में हो रही थी, लेकिन अब सभी केस लखनऊ ट्रांसफर किए जा चुके हैं। इसके बाद ही एसआईटी एक्शन में आई है।

2005 से 2009 तक बीएड की फर्जी मार्कशीट बेचे जाने की जांच पहले आगरा पुलिस को दी गई थी। तब पुलिस ने छह केस दर्ज किए थे। इनमें यूनिवर्सिटी के 10 अधिकारी और 20 कर्मचारी आरोपी बनाए गए थे। इनमें विश्वविद्यालय के तत्कालीन उपाध्यक्ष अवतार सिंह कुकला और रजिस्ट्रार शिवपूजन सिंह व कई अन्य नामजद हुए थे। मामले के मुख्य आरोपी तत्कालीन उपाध्यक्ष की कुछ अरसा पहले मृत्यु हो चुकी है जबकि तत्कालीन रजिस्ट्रार पिछले करीब डेढ़ वर्ष से फरार चल रहे हैं।

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