स्कूलों में लगे अग्निशमन यंत्रों पर जमा हो रही धूल
विश्वबंधु शास्त्री, खेकड़ा: जनपद के सैकड़ों प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूलों में हजारों नौनिहालों की जान हथेली पर है। इन स्कूलों में आग से बचाव के कोई संसाधन नहीं हैैं जबकि प्रतिदिन गैस सिलेंडरों से मिड-डे मील तैयार किया जाता है। अगर कभी कोई अनहोनी हो गई तो अग्निशमन विभाग भी कुछ न कर सकेगा।
जमकर हो रही सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना
दरअसल, वर्ष 2009 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश के सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अग्निशमन यंत्र लगाने के निर्देश दिए गए थे। उस समय जनपद के करीब 675 स्कूलों में विद्यालय के विकास अनुदान खाते से सीज-फायर कंपनी के अग्निशमन यंत्र लगाए गए थे। इन पर हर स्कूल में करीब ढाई हजार रुपए का खर्च भी आया था। नियम के मुताबिक हर स्कूल में दो सिलेंडर, रेत से भरी दो व एक पानी से भरी बाल्टी स्टैंड ऐसे स्थान पर रखे गए थे, जहां पर आग लगने की घटना के समय आसानी से पहुंच हो सके। नियमानुसार इन सिलेंडरों की प्रतिवर्ष फी¨लग भी होनी थी। फी¨लग भी विद्यालय को मिलने वाले विकास अनुदान के बजट से ही होनी थी। हाल ये है कि ये सिलेंडर या तो स्कूलों से गायब हो गए या फिर किसी कोने में पड़े धूल चाट रहे हैं। शायद ही कोई ऐसा विद्यालय हो जहां अग्निशमन यंत्रों का रखरखाव सही तरीके से हो रहा हो।
जान पर आ सकती है आफत
अग्निशमन अधिकारी रामेश्वर ¨सह के अनुसार, अग्निशमन यंत्रों में सिलेंडर की मियाद अधिकतम पांच साल की होती है। यदि सिलेंडर नए हैं तो उनको दो-तीन साल बाद जांच करा लेना चाहिए। इसके बाद हर वर्ष सिलेंडरों की जांच होनी चाहिए। उपयोग में न आने पर हर वर्ष सिलेंडरों में गैस भरी जानी चाहिए। उनका कहना है, यदि स्कूलों में ठीक प्रकार से सिलेंडर नहीं रखे गए हैं तो ये लीक हो सकते हैं जो सुरक्षा के लिए खतरा भी बन सकते हैं। उनका कहना है यदि कोई स्कूल संचालक या प्रधानाध्यापक उनसे गैस सिलेंडरों की जांच की मांग करता है तो दमकल विभाग से यह सुविधा प्रदान की जा सकती है।
बजट के अभाव में
नहीं हो रहा रखरखाव
खंड शिक्षा अधिकारी वेदप्रकाश गुप्ता का कहना है, जब से हर स्कूल में अग्निशमन यंत्र लगाए गए थे, तब से आज तक दोबारा फि¨लग कराने को बजट नहीं आया। बजट के अभाव में इनको दोबारा से न तो भरवाया जा सका और न ही इनका रखरखाव सही हो पा रहा है। बीइओ ने भी माना कि इनकी मियाद भी खत्म हो चुकी है। ऊपर जो आदेश उनको मिलेगा उसका पालन कराया जाएगा।