सीतापुर : हाय रे भ्रष्टाचार - एमडीएम पर डाका डाला, बच्चों के मुंह से छीना निवाला, पूर्व प्रधान के घर आज भी बन रहा एमडीएम, पांच वर्षों में कभी नहीं बनी रोटी, प्रधान के आगे प्रशासन भी नतमस्तक
सीतापुर। जिस प्रधान ने पांच वर्षो तक खूब लूट मचाई उसने बच्चों के मुंह से रोटी का निवाला तक छीन लिया। ग्रामसभा कैमहरा रघुबरदयाल में यही हो रहा है। पांच वर्ष के कार्यकाल में पूर्व प्रधान एमडीएम सहित खूब घोटाले किए मगर पेट अभी भी नहीं भरा है। बच्चों के पेट से निवाला कैसे छीना जाता है यह कोई यहां के पूर्व प्रधान से पूछे। यहां कभी भी रोटी नहीं बनी। हमेशा खिचड़ी ही खाकर बच्चों ने अपना पेट भरा है। भ्रष्टाचार यहीं पर नहीं खत्म होता। एमडीएम कभी भी स्कूल में बना ही नहीं। जब पूर्व प्रधान, प्रधान थे तो पद के भौकाल में घर पर एमडीएम बनवाते थे, आज नहीं है तो रंगबाजी में खाना घर भी ही बन रहा है। अब प्रधानाध्यापक भी क्या करे।
उसका कहना है कि गांव में रहकर नौकरी करनी है तो जैसा हो रहा है देखकर चुप हूं और चुपचाप नौकरी कर रहा हूं।बताते चलें कि कैमहरा रघुबरदयाल ग्रामसभा में हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रधानी चुनाव नहीं हुआ था। प्रधान सरोजनी देवी थीं। कार्यकाल खत्म हुआ तो प्रधान को कार्यमुक्त कर यहां का प्रशासक एडीएओ पंचायत रामौतार कुरील को बना दिया गया। प्रधान का कार्यकाल तो खत्म हो गया पर प्रधानी खत्म नहीं हुई। इनकी प्रधानी की हनक का आलम यह है कि प्रशासन भी इनके आगे घुटने टेकता है। यह मै नहीं कहता बल्कि वहां के स्कूली बच्चे और उनके अभिभावक कहते हैं। बताया जाता है कि यहां पर बीते पांच वर्षों से कभी भी रोटी नहीं बनी है।
एमडीएम का मीनू सरकारी विद्यालय की दीवार की शोभा तो बढ़ाता है पर मीनू के अनुसार खाना कैसे मिलता है या खाया जाता है यह बच्चे नहीं जानते हैं। यहां के बच्चे सिर्फ खिचड़ी का स्वाद जातने हैं। बताया जाता है कि यहां पर बीते पांच वर्षों से जो एमडीएम स्कूल में बनना चाहिए वह प्रधान सरोजनी देवी के घर बन रहा था। अब प्रधान नहीं है खाना फिर भी उन्हीं के घर पर ही पकाया जाता है जो वहां से सीधे स्कूल चला जाता है। इसे रंगबाजी नहीं तो और क्या कहेंगे। जिस स्कूल के प्रधानाध्यपक अपनी नौकरी बचाने के लिए मुंह पर लगाम लगाए हो, वहां प्रधान की गुंडई नहीं तो क्या है। प्रधानाध्यापक मधुप किशोर त्रिपाठी से जब पूछा गया कि आपके स्कूल में पांच वर्षों से खिचड़ी ही क्यों बन रही है, तो वह फूट पड़े।
उन्होंने कहा कि नौकरी सुरक्षित रखनी है तो चुपचाप सब तमाशा देखता रहता हूं। पांच वर्षों से एमडीएम पूर्व प्रधान सरोजनी देवी के घर ही बनता रहा है और आज भी वहीं बन रहा है। रोटी कभी भी नहीं बनी। वहीं पूर्व प्रधान सरोजनी देवी का कहना है कि एमडीएम के भी सरकारी बर्तन और न ही गैस सलेंडर उनके पास हैं। चोरी होने के डर से स्कूल के प्रधानाध्यापक ने स्कूल में खाना बनवाने से मना कर दिया। जिससे खाना घर पर ही बनता आया। उन्होंने कहा कि खाना न बनाने की अप्लीकेशन उन्होंने दे रखी है दो दिनों से खाना नहीं बना है।
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