परिषदीय स्कूलों में घट रहे बच्चे
उरई, जागरण संवाददाता : परिषदीय स्कूलों में अधिक से अधिक बच्चों का नामांकन हो सके और प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधर सके इसके लिए तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं इसके बाद भी इन स्कूलों में बच्चों की संख्या घटती जा रही है। वर्ष 2014-15 में प्राइमरी स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या 1 लाख 3100 थी, जूनियर कक्षाओं में 36311 बच्चे पंजीकृत थे जिसके सापेक्ष वर्ष 2015-16 में प्राइमरी में 96 हजार बच्चे पंजीकृत किये गये जबकि जूनियर में 34000 बच्चे ही पंजीकृत किये जा सके। बच्चों की घटती संख्या पर खंड शिक्षा अधिकारियों से कारण स्पष्ट करने को कहा गया है।
प्राथमिक शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है, सभी पढ़ें सभी बढ़ें इन कथनों को कसौटी पर खरा उतारने के लिए जिले में संचालित 1247 प्राइमरी और 553 जूनियर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को हर सुविधा मुहैया कराई जा रही है। दोपहर का भोजन, नि:शुल्क किताबों के साथ ही ड्रेस उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी की गयी है। ताकि गरीब घरों के बच्चे इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर सकें लेकिन लापरवाही के चलते प्राथमिक शिक्षा की हालत पतली है। शिक्षा की खराब गुणवत्ता के कारण गरीब घरों के बच्चे भी इन स्कूलों में जाने से परहेज करने लगे हैं। उनके अभिभावक ही बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं। इसकी अपेक्षा वह नजदीक के किसी प्राइवेट स्कूल में बच्चे का दाखिला करा देते हैं। भले ही उनको कुछ फीस क्यों न देनी पड़े। नतीजतन परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होती जा रही है। अभिभावकों का मोह परिषदीय स्कूलों से भंग हो रहा है। जनपद के सभी विकास खंडों के स्कूलों में बच्चों की संख्या में कमी आई है। बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014-15 की अपेक्षा वर्ष 2015-16 में प्राइमरी स्कूलों में दस हजार से अधिक बच्चों का नामांकन कम हुआ। जूनियर स्कूलों में लगभग तीन हजार बच्चे कम पंजीकृत हुए। इस स्थिति को देखते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार वर्मा ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों से इसका कारण स्पष्ट करने के लिए पत्र भेजा है। यह भी कहा गया है कि कम प्रवेश करने वाले स्कूलों को ¨चहित कर उनके प्रधानाध्यापकों से जवाब मांगा जाये।