हरनाथ की "कुटिया " में शिक्षा की "लौ "
फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : स्कूल में पढ़ाने से सकून नहीं मिला तो नौकरी छोड़ दी। पहले गांव के सार्वजनिक स्थल और फिर घर की कुटिया में ही गरीब बच्चों को ज्ञान पुष्प से पल्लवित करने में जुट गए। इस समय उनकी पाठशाला में 20 से 30 बच्चे शिक्षा की लौ से दमक रहे। बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ के साथ ही संस्कारों संग बच्चों में शिक्षा की उड़ान रंग ला रही है।
मोहम्मदाबाद के गांव शेखपुर खजुरी निवासी हरनाथ ¨सह ने 15 साल पहले प्राइवेट स्कूल से शिक्षक की नौकरी छोड़ दी। पहले नीवकरोरी उपकेंद्र के पास बच्चों की पाठशाला लगाने लगे। फिर अपने घर को ही शिक्षा और ज्ञान का मंदिर बना दिया। गांव के सभी बच्चों विशेषकर लड़कियों को सरकारी स्कूल से जोड़ा। विद्यालय खुलने से पहले व छुट्टी के बाद बच्चे उनकी पाठशाला में पढ़ने पहुंचते। कभी ब्लैक बोर्ड पर तो कभी अभ्यास पुस्तिकाओं पर बच्चों को समझाते। आठवीं तक के बच्चों को वह हर विषय पूरी तन्मयता से पढ़ाते हैं। हरिद्वार से प्रशिक्षण लेने के बाद वह योग शिक्षा भी देने लगे। यदि कोई अभिभावक 100-50 रुपये फीस दे भी दे तो वह उस राशि को पथरी की निशुल्क दवाई देने में लगा देते। साफ-सफाई, पर्यावरण संरक्षण व संस्कारों का भाव भी बच्चों में भर रहे हैं। पास के गांव हरिनगला, जाजपुर गोवा, जाजपुर बंजारा व खटा डुग्गा में भी वह "बेटियां पढ़ेंगी तो आगे बढ़ेंगीं " की मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि गरीब अभिभावक अभी भी अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते। उन्हें शिक्षा और ज्ञान का महत्व बताया जाना जरूरी है।