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लखनऊ : अफसर नहीं दे सके जवाब, प्रमुख सचिव और DIOS के खिलाफ वाद दर्ज, कॉलेज अनुदान के बजाय निकाले गए 12 अध्यापकों के खाते में सैलरी भेजने का विवाद

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लखनऊ : अफसर नहीं दे सके जवाब, प्रमुख सचिव और DIOS के खिलाफ वाद दर्ज, कॉलेज अनुदान के बजाय निकाले गए 12 अध्यापकों के खाते में सैलरी भेजने का विवाद

√कॉल्विन कॉलेज प्रकरण में लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने मुख्य सचिव को दी जानकारी 

√ कॉलेज अनुदान के बजाय निकाले गए 12 अध्यापकों के खाते में सैलरी भेजने का विवाद


लोकायुक्त ने प्रमुख सचिव और डीआईओएस को नोटिस जारी कर आरोपों पर जवाब मांगा था। लोकायुक्त ने बताया कि दोनों अफसर अपने जवाब में कई आरोपों को स्पष्ट नहीं कर सके। अफसर यह नहीं स्पष्ट कर सके कि जब अदालत ने अध्यापकों को सीधे वेतन देने के आदेश नहीं दिए थे तो वेतन सीधे उनके खातों में क्यों भेजा गया। लोकायुक्त ने बताया कि इस प्रकरण में पूर्व डीआईओएस गणेश कुमार ने अदालत में शपथपत्र देकर कहा था कि कॉल्विन कॉलेज अनुदानित नहीं है, इसलिए वहां के प्रबंधतंत्र को किसी को निकालने से पहले डीआईओएस की अनुमति की जरूरत नहीं है। फिर डीआईओएस उमेश त्रिपाठी ने उस शपथपत्र का खंडन क्यों किया, इसका जवाब स्पष्ट नहीं है। इन आरोपों का जवाब न मिलने से शिकायतकर्ता के आरोपों की प्रथमदृष्टया पुष्टि होती दिखती है। इन्हीं को आधार बनाकर उन्होंने दोनों अफसरों के खिलाफ वाद दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।•प्रमुख संवाददाता, लखनऊ

लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने कॉल्विन ताल्लुकेदार कॉलेज प्रकरण में प्रारंभिक जांच के बाद प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार और लखनऊ के डीआईओएस उमेश त्रिपाठी के खिलाफ मामला दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी है। दोनों अफसरों के खिलाफ जांच शुरू करने के साथ ही लोकायुक्त ने इसकी सूचना मुख्य सचिव आलोक रंजन को भी भेज दी है। लोकायुक्त ने शिकायतकर्ता द्वारा दी गई अनुपूरक शिकायत की कॉपी दोनों अफसरों को भेजते हुए एक फरवरी तक जवाब मांगा है। 

लखनऊ के अधिवक्ता मयंक शुक्ला ने लोकायुक्त के यहां शिकायत कर कहा था कि कॉल्विन ताल्लुकेदार कॉलेज के प्रबंधतंत्र ने यूपी बोर्ड से संबद्ध इंटरमीडिएट की क्लास बंद कर 12 प्रवक्ता स्तर के अध्यापकों को निकाल दिया था। इसके खिलाफ शिक्षक अदालत चले गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने शासन को आदेश दिया था कि जब तक शिक्षकों का मामला साफ नहीं हो जाता, तब तक कॉलेज को अनुदान दे दिया जाए, जिससे अध्यापकों को वेतन मिलता रहे। आरोप है प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार ने जुलाई 2013 में कॉलेज को अनुदान देने की जगह डीआईओएस उमेश त्रिपाठी के जरिए पैसा सीधे शिक्षकों के बैंक खातों में डलवा दिया था। कॉल्विन कॉलेज पेमेंट ऑफ सेलरी एक्ट में नहीं आता। 

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