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रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए जरूरी है एसेट डायवर्सिफिकेशन : दुनियाभर में 2015 में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 90.1 करोड़ थी, जिसके 2050 तक 2.1 अरब हो जाने का अनुमान

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रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए जरूरी है एसेट डायवर्सिफिकेशन : दुनियाभर में 2015 में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 90.1 करोड़ थी, जिसके 2050 तक 2.1 अरब हो जाने का अनुमान

एशिया महाद्वीप में 4 अरब से ज्यादा लोग रहते हैं, जो दुनिया की आबादी का 60 पर्सेंट है। इसके सामने अब वही प्रॉब्लम आ गई है, जिससे पश्चिम अब तक जूझता रहा है यानी आबादी में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या। दुनियाभर में 2015 में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 90.1 करोड़ थी, जिसके 2050 तक 2.1 अरब हो जाने का अनुमान है। इस दौरान बुजुर्गों की संख्या में 66 पर्सेंट बढ़ोतरी एशिया में होगी। इससे पता चलता है कि ज्यादातर एशियाई देशों में हेल्थकेयर सर्विस और कम विकसित सोशल प्रोटेक्शन स्कीम पर आनेवाले बरसों में क्या फिस्कल प्रेशर पड़ेगा।

2030 तक एशिया में 66 पर्सेंट मिडिल क्लास आबादी होगी, जो 2009 में 28 पर्सेंट थी। एशिया में पर्सनल वेल्थ में हो रही बढ़ोतरी से लोगों के रहन-सहन का स्तर बढ़ रहा है और रिटायरमेंट वाली लाइफस्टाइल को लेकर लोगों की उम्मीदें बढ़ रही हैं। अनिश्चितता से बचाव के लिए रिटायरमेंट के ट्रेडिशनल सपोर्ट के जरिए निजी संपत्ति जमा करने की चाहत सेविंग्स को बढ़ावा देती है। ज्यादा से ज्यादा लोग मनपसंद वाली रिटायरमेंट लाइफ देने में अहम रोल अदा करने वाली फाइनेंशियल प्लानिंग की बागडोर अपने हाथ ले रहे हैं। एशिया में बचत के लिए सबसे अच्छा जरिया बैंक डिपॉजिट हो सकता है। लेकिन आपकी रिटायरमेंट सेविंग्स इनफ्लेशन रेट के मुकाबले नहीं बढ़ रही है तो आपकी परचेजिंग पावर घटेगी और इनफ्लेशन से ज्यादा रिटर्न के लिए फाइनेंशिल मार्केट में आना होगा। हालांकि शॉर्ट या मीडियम टर्म में स्टॉक या बॉन्ड कौन सा एसेट क्लास बेहतर होगा, यह अनुमान लगाना चुनौती भरा है। किसी साल ज्यादा रिटर्न देने वाले कुछ एसेट अगले साल लॉस करा सकते हैं। जैसे इमर्जिंग मार्केट्स की इक्विटी। सरकारी बॉन्ड्स से मिलने वाले रिटर्न का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन ये आमतौर पर इक्विटी जितना रिटर्न नहीं देते।

लॉन्ग टर्म में सिर्फ एक एसेट क्लास में पैसा लगाते रहना अच्छा आइडिया लग सकता है, लेकिन इसमें फाइनेंशियल मार्केट्स कुछ रिस्क जुड़े होते हैं और रिस्क रिटर्न आपस में जुड़े होते हैं। इक्विटीज से लॉन्ग टर्म में ज्यादा रिटर्न मिल सकता है, लेकिन उनमें उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा होता है और कई बार लंबे समय तक बिकवाली का शिकार हो सकते हैं। इसी तरह सिर्फ बॉन्ड वाला पोर्टफोलियो कम उतार-चढ़ाव वाला होता है, लेकिन इसमें रिटर्न कम होता है। कौन सा एसेट क्लास बेहतर होगा, यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है। इनवेस्टमेंट गोल हासिल करने के लिए रिटायरमेंट सेविंग्स पर रिस्क उठाने की क्षमता और आपकी वित्तीय परिस्थितियां तय करेंगी कि मार्केट में गिरावट आने पर आप कितना लॉस झेल सकते हैं। रिस्क का स्तर तब स्वीकार्य माना जाता है जब उसमें सभी फैक्टर्स को शामिल किया गया हो।

मतलब इनवेस्टर का रिस्क प्रोफाइल उसके हालात पर निर्भर करेगा। मिसाल के लिए रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके शख्स का रिस्क प्रोफाइल उन युवाओं से एकदम अलग होगा, जिनका फोकस अपनी वेल्थ तेजी से बढ़ाने पर होगा। मतलब जो इनवेस्टमेंट किसी एक के लिए सही है तो जरूरी नहीं कि वह दूसरे के लिए भी सही होगा। तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि इनवेस्टर्स को रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से किसी एक एसेट क्लास में पैसा रखना होगा/ नहीं। इनवेस्टर्स को अपने रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से बेस्ट रिटर्न हासिल करने का टारगेट रखना चाहिए और एक से ज्यादा एसेट क्लास में पैसा लगाकर रिस्क बढ़ाए बगैर रिटर्न को बेहतर बनाया जा सकता है।

डायवर्सिफिकेशन का फायदा

सिंगल एसेट क्लास फंड इंडिया इक्विटी फंड जैसे किसी एक एसेट क्लास में एक्सपोजर दिलाता है जबकि मल्टी एसेट फंड्स मिक्स पोर्टफोलियो से दो या ज्यादा एसेट क्लास में एक्सपोजर होता है। स्ट्रैटेजी के हिसाब से मल्टी एसेट फंड्स इक्विटीज और बॉन्ड्स जैसे ट्रेडिशनल एसेट के साथ प्रॉपर्टी और कमोडिटी जैसे नॉन ट्रेडिशनल एसेट में इनवेस्ट कर सकते हैं। इक्विटीज और बॉन्ड्स मिक्स पोर्टफोलियो में इक्विटीज से कम उतार चढ़ाव आता है लेकिन इसमें इक्विटी का खासा फायदा मिलता है जो आमतौर पर बॉन्ड से ज्यादा होता है।
(लेखक HSBC ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट के हांगकांग CEO और एशिया पैसेफिक रीजनल हेड हैं ।)

2 टिप्‍पणियां:

  1. 📌 रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए जरूरी है एसेट डायवर्सिफिकेशन : दुनियाभर में 2015 में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 90.1 करोड़ थी, जिसके 2050 तक 2.1 अरब हो जाने का अनुमान
    👉 http://www.primarykamaster.net/2016/02/2015-60-901-2050-21.html

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  2. 📌 रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए जरूरी है एसेट डायवर्सिफिकेशन : दुनियाभर में 2015 में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 90.1 करोड़ थी, जिसके 2050 तक 2.1 अरब हो जाने का अनुमान
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