इलाहाबाद : और गहराया लोअर-2015 प्रारंभिक परीक्षा का विवाद
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की अवर अधीनस्थ सम्मिलित परीक्षा (लोअर) 2015 को लेकर विवाद गहरा रहा है। आयोग की ओर से जारी संशोधित आंसर-की ने अभ्यर्थियों को संतुष्ट करने के बजाए कई और विवाद खड़े कर दिए हैं। अभ्यर्थियों का मानना है कि आयोग ने मेधावी छात्रों की अनदेखी की है। प्रतियोगियों ने सारे साक्ष्य एकत्रित करने शुरू कर दिए हैं और दो-तीन दिन के भीतर ही वह याचिका दायर करेंगे।
आयोग ने छह दिन पहले ही लोअर-2015 प्री परीक्षा का परिणाम घोषित किया है। इसमें 635 पदों के लिए 12549 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए सफल हुए हैं। परीक्षा में दो लाख 42 हजार अभ्यर्थी सफल हुए हैं और आयोग मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन की तैयारियों में भी जुटा हुआ है। इससे पहले अभ्यर्थियों में इस बात पर रोष था कि संशोधित आंसर-की जारी किए बिना ही रिजल्ट घोषित कर दिया गया। उनके दबाव पर आयोग ने आंसर-की तो जारी कर दी लेकिन नए विवाद सामने आ गए। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि आयोग ने पांच प्रश्न हटा दिए जो कि गलत था। चार प्रश्नों में दो उत्तरों को सही माना गया जो कि गलत था। उसके बाद प्रतियोगी छात्रों ने इस परीक्षा को लेकर साक्ष्य एकत्रित करने शुरू किए। समिति के मीडिया प्रभारी और सचिव अवनीश पांडेय ने रविवार को बताया कि अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। याचिका तैयार करा ली गई है और एक-दो दिन में उसे दायर कर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि अनिल यादव के जाने के बाद यह बड़ी परीक्षा है जो आयोग ने कराई है। इसीलिए आयोग इसको लेकर गंभीर है और प्रतियोगी छात्रों की मांगों को दरकिनार करते हुए मुख्य परीक्षा संपन्न कराने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। दूसरी ओर प्रतियोगी छात्रों के एक अन्य संगठन भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा ने भी याचिका दाखिल करने की तैयारी की है। मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह ने सवाल उठाया कि आखिर कौन सा फामरूला है जिसमें किसी के पांच से बारह नंबर बढ़ गए तो किसी के इतने ही घट गए। किस आधार पर प्रतियोगी छात्रों को चार सवालों में दो की जगह एक-एक नंबर बांटे गए।