सतत समग्र मूल्यांकन प्रणाली में होंगे महत्वपूर्ण बदलाव
संवाद सहयोगी, बड़सर : सतत समग्र मूल्यांकन की प्रणाली में सुधार करने के साथ पढ़ाई-लिखाई को ही फिर से महत्व मिलेगा। सीसीई यानि सतत समग्र मूल्यांकन प्रणाली को सुधारते हुए अब प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे, जिनसे पुरानी पद्धति की खूबियां भी मूल्यांकन तंत्र का हिस्सा बन जाएंगी। अब तीन की बजाय दो बार टर्म पेपर लेने के लिए योजना का खाका तैयार किया गया है, जिसके तहत पहली व दूसरी कक्षा के लिए मौखिक प्रश्नों व छोटे-छोटे प्रोजेक्ट के लिए भी अंक रखे गए हैं, जबकि लिखित परीक्षा भी होगी।
बीआरसी विजय हीर ने बताया कि प्रस्तावित खाके में अब ग्रेड का झंझट नहीं होगा। यानि ए, बी, सी, डी व ई ग्रेड की बजाय अंक लिखने होंगे और मौखिक परीक्षा भी अंकों वाली ही होगी, जिससे मूल्यांकन सरल व प्रतिशत के अनुसार ढल जाएगा। तीसरी या चौथी कक्षा में मौखिक प्रश्नों का प्रयोग होगा और इसके बाद लिखित परीक्षा से ही मूल्यांकन होगा। हर डेढ़ माह में रचनात्मक व उसके डेढ़ माह में योगात्मक मूल्यांकन किया जाएगा। कक्षा छठी से आठवीं के लिए मूल्यांकन का ढर्रा भी इसी तरह बदलेगा। इसके तहत असाइनमेंट व प्रोजेक्ट के भी अंक के साथ लिखित परीक्षा के भी अंक लगेंगे।
इस तरह कागजों को काला करने में व्यस्त रहने की बजाय उनको कक्षा में पढ़ाने के लिए ज्यादा समय मिलेगा और बच्चों का रिपोर्ट कार्ड भी नंबरों और प्रतिशतता वाला होगा। अब कक्षा में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थिति का फिर से पता चल पाएगा। इस तरह करीब आठ साल से चल रहे सीसीई के पेचीदा मूल्यांकन की बजाय सरल मूल्यांकन प्रणाली सामने आएगी। जिसको सत्र 2016-17 से लागू करने की योजना है। हीर ने इस बदलाव का पुरजोर समर्थन किया है और बच्चों के व्यक्तित्व गुणों के आधार पर असेस्मेंट में भी कुछ अंक आरक्षित करने का सुझाव दिया है।