इलाहाबाद : आंसर शीट व विवाद का रहा चोली-दामन का साथ
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : वर्ष 2013 का पीसीएस हो या पीसीएस जे या फिर पीसीएस 2015 की परीक्षा। इन परीक्षाओं की आंसर शीट जब भी जारी हुई तो उसमें पूछे गए सवालों को लेकर बखेड़ा जरूर खड़ा हुआ। आयोग और प्रतियोगियों के बीच सवालों का विवाद महज सड़क तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि हर गंभीर मसला न्यायालय की सीढ़ियां जरूर चढ़ा है। पीसीएस 2015 के गलत सवाल का प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है और अब लोअर 2015 का प्रकरण भी कोर्ट ले जाने की तैयारी है। इस बारे में राज्यपाल को भी अवगत कराया जाएगा।
सम्मिलित अवर अधीनस्थ सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा लोअर-2015 को कई सवालों के जवाब पर प्रतियोगियों को आपत्ति है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले पीसीएस-2013 में ऐसा ही मसलों पर आयोग हाईकोर्ट में तलब हो चुका है। पीसीएसजे में आयोग को 11 प्रश्न बदलने पड़े थे और पीसीएस-2015 के गलत प्रश्नों का मसला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। इससे स्पष्ट है कि आयोग के पास सही प्रश्न बनाने और उनके उत्तर जांचने वाले विशेषज्ञ एक्सपर्ट नहीं मिल पाए हैं। लोअर-2015 का मसला थोड़ा जुदा इसलिए हैं क्योंकि इसमें अभ्यर्थियों का आरोप है कि चार प्रश्नों के उत्तर सही थे लेकिन आयोग ने उन्हें भी हटा दिया। इससे मेधावी छात्रों को नुकसान पहुंचेगा। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने मंगलवार को आयोग में इस परीक्षा को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। समिति के सचिव और मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय की ओर से दिए गए पत्र में छह प्रश्नों के उत्तरों पर सवाल खड़े किए गए हैं। मसलन, एक सवाल यह है कि 1937 के मंत्रिमंडल में कितने राज्यों में कांग्रेस के मंत्रिमंडल बना था। इसका उत्तर छह है और आयोग के विकल्पों में भी यह शामिल है लेकिन इसे हटा दिया गया। इसी क्रम में भारत हैवी इलेक्टिकल लिमिटेड ने आठ अगस्त को कहां तापीय योजना का शुभारंभ किया। जवाब नीमच था और यह उत्तरों के विकल्प में शामिल था लेकिन इसे हटा दिया गया। ऐसे ही चार सवाल और हैं।
आयोग में सिर्फ समिति की ओर से ही आपत्तियां नहीं दाखिल हैं। सैकड़ों और प्रतियोगी भी आपत्तियां दाखिल कर रहे हैं। प्रतियोगियों ने अपने पक्ष में साक्ष्य भी लगाए हैं जो विभिन्न पुस्तकों में दिए गए तथ्य के रूप में हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अनुसार इस तरह की स्थितियों से आयोग की छवि धूमिल होती है।
असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा रद कराने को भी होगा आंदोलन :
प्रतियोगी छात्रों की मंगलवार को हुई एक बैठक में असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा रद कराने के लिए भी आंदोलन का फैसला किया गया। इसके लिए हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की जाएगी। यह परीक्षा उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने संपन्न कराई थी और अभी इसका परिणाम नहीं आया है। इससे पहले ही आयोग के तीन सदस्यों की नियुक्ति अवैध घोषित कर दी गई। अध्यक्ष भी हटाए गए। इस समय आयोग में एक सदस्य हैं।