प्राथमिक और जूनियर शिक्षकों को मिली राहत
जागरण संवाददाता, एटा: शासन ने परिषदीय स्कूलों में शिक्षण कार्य बाधित होने के चलते प्राथमिक और जूनियर शिक्षकों को बोर्ड परीक्षा से दूर रखने का फैसला लिया है। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी को निर्देश भेजकर में परिषदीय शिक्षकों की ड्यूटी नहीं लगाने के निर्देश दिए हैं।
बोर्ड परीक्षा में परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को कक्ष निरीक्षक बना दिया जाता था। शासन का मानना है कि बोर्ड परीक्षाओं में प्राथमिक और जूनियर शिक्षकों को लगाने से पठन-पाठन कार्य पर खासा असर पड़ता है। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी को भेजे निर्देश में कहा है कि परिषदीय विद्यालयों में 14 मार्च से वार्षिक परीक्षाएं और एक अप्रैल से नए शिक्षण सत्र की शुरुआत होनी है। लिहाजा बोर्ड परीक्षा में माध्यमिक, सहायता प्राप्त और वित्तविहीन स्कूलों के शिक्षकों की ही ड्यूटी लगाई जाए। इसके बाद भी शिक्षकों की जरूरत पड़ने पर जिला विद्यालय निरीक्षक को प्रमाण पत्र देना पड़ेगा। प्राथमिक और जूनियर शिक्षकों की ड्यूटी विशेष परिस्थिति और अनिवार्य विषय की परीक्षा में ही लगाई जाएगी। वहीं जिन परिषदीय विद्यालयों में दो अध्यापक हैं, उनको भी बोर्ड परीक्षा ड्यूटी से मुक्त रखा जाएगा। इस संबंध में जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार गिरि ने बताया कि बोर्ड परीक्षा में माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों की ही ड्यूटी लगाई गई है। विशेष स्थिति में बेसिक शिक्षा विभाग की सहायता ली जाएगी।
एक महीने की मौज भी बंद
बोर्ड परीक्षा में अब तक बाहरी जनपदों के शिक्षक केंद्र व्यवस्थापकों से जुगत लगाकर ड्यूटी लगवा लेते थे। फिर बोर्ड परीक्षा में किसी अन्य शिक्षक को भेजकर खुद छुट्टी मनाते थे। मगर ड्यूटी न लगने से ये शिक्षक छुंट्टी नहीं मना पाएंगे।
जिले के लिए मुसीबत बनेंगे निर्देश
मुख्य सचिव के निर्देश जिले के लिए मुसीबत बनेंगे। जिले के माध्यमिक स्कूलों में करीब 800 शिक्षक तैनात हैं। वहीं वित्तविहीन स्कूलों में अधिकांश शिक्षक कागजों पर ही शिक्षण कार्य कर रहे हैं। जबकि जिले के 183 परीक्षा केंद्रों पर तीन हजार से ज्यादा कक्ष निरीक्षकों की आवश्यकता है। ऐसे में शिक्षा विभाग को बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों का सहारा लेना ही पड़ेगा। पिछले साल भी प्राइमरी के शिक्षकों को लगाने के बाद भी कक्ष निरीक्षकों के लिए मारामारी रही थी।