रजिस्टरों में फर्जी बच्चे पंजीकृत, पंजीरी खा रहे जानवर
चकरनगर, संवाद सहयोगी: क्षेत्र में अधिकारियों की अनदेखी के चलते आंगनबाड़ी एवं मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की फर्जी अनुपस्थिति दिखाकर अधिक मात्रा में उठायी जा रही पंजीरी को जानवर खा रहे हैं। कुछ केंद्र सहायिकाओं के भरोसे पर संचालित हैं, तो कुछ केंद्रों में ताले लटक रहे हैं और कार्यकत्रियां दूरदराज शहरों में रहकर भी पूरा मानदेय पा रहीं हैं। ब्लाक स्तरीय अधिकारी जानकारी के बावजूद भी कार्रवाई से डर रहीं हैं।
उक्त ब्लाक के केंद्रों पर पंजीकृत छात्र संख्या 60 से 100 बच्चों तक की पंजीरी भेजी जाती है, किन्तु मौके पर बच्चों की संख्या दहाई का अंक भी पार नहीं कर रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि प्रत्येक केंद्रों पर बच्चों की संख्या फर्जी तरीके से लिखी है और केंद्रों पर भेजी गयी पंजीरी को जानवर खा रहे हैं। इस बात का उदाहरण उस समय देखने को मिला जब सोमवार को जागरण टीम ने क्षेत्रीय आंगनबाड़ी केंद्र टेडाढ़ाडे का हाल जाना। जिसमें करीब 11 बजे सहायिका आशादेवी तो मौके पर मौजूद थीं, ¨कतु कार्यकत्री सुनीता देवी अनुपस्थित थीं। वहीं पंजीकृत छात्र संख्या 65 में से एक भी बच्चा मौके पर मौजूद नहीं था। इसी क्रम में मिनी आंगनबाड़ी केंद्र नीवरी में पंजीकृत छात्र संख्या 35 में से 11.10 बजे कुल तीन बच्चे मौजूद थे। मिनी आंगनबाड़ी केंद्र भदौरियनपुरा में पंजीकृत 35 में 11.20 बजे दो बच्चे मौजूद थे। आश्चर्य की बात यह है कि पंजीरी की बोरी के ऊपर 2016 की मुहर लगी है और उसके अन्दर जनवरी 2015 के पैकिट भरे हैं। इन पैकिटों को बच्चों में वितरित किया जा रहा है। यदि कोई बच्चा बीमार होता है तो शासन को लेने के देने पड़ सकते हैं। आंगनबाड़ी केंद्र पिपरौली गढि़या प्रथम व द्वितीय जो घरों में चलाये जा रहे हैं उनमें ताले लटक रहे थे। इसके उपरांत तृतीय व चतुर्थ केंद्र खुले थे, किन्तु दोंनों केन्द्रों पर बच्चों की संख्या मात्र 13 थी। कुर्छा केंद्र में साढ़े बारह बजे ताला लटक रहा था। इस संबंध में सहसों क्षेत्र की सुपरवाइजर श्याम कली ने बताया कि जो लोग केंद्र पर नहीं जा रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और इसका ब्यौरा लिखकर मुख्यालय को प्रेषित किया जायेगा।