यहां बाबू और चपरासी निपटा रहे "जनता दर्शन "
गोंडा:
केस एक - बुलंदशहर जिले से प्रभु ¨सह सोमवार की सुबह साढ़े दस बजे से बीएसए कार्यालय पंतनगर पहुंच गए। उनकी बेटी विभाग में शिक्षिका है। वह सत्यापन के बारे में जानकारी करने के लिए आए हुए थे। वह अधिकारी से मिलना चाह रहे थे।
केस दो - उन्नाव के सुधीर की पत्नी शिक्षिका है। अभी तक उसे वेतन नहीं मिला है। वह सत्यापन के बारे में जानकारी करने के लिए आए हुए थे। वह काफी देर से इधर उधर चक्कर काट रहे थे। वैसे यहां पर कई शिक्षक भी सत्यापन के बारे में जानकारी करने आए हुए थे लेकिन जैसे ही उनका नाम पूछा गया वह खिसक लिए।
यह नजारा सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजकर 10 मिनट पर पंतनगर स्थित बीएसए कार्यालय पर दिखा। सरकार भले ही सुबह 10 बजे से 12 बजे तक सभी अफसरों को कार्यालय में बैठकर जनता की समस्याओं की सुनवाई का निर्देश दे रही हो लेकिन यहां पर उसका कितना असर पड़ रहा है, यह देखने के लिए सोमवार को जब दैनिक जागरण की टीम यहां पर पहुंची तो गेट पर ही एक बाबू व चपरासी बैठे हुए थे। वहीं पर जनता दर्शन का एक स्टीकर लगा हुआ था। यहां पर लोग अपनी जिज्ञासा शांत करने का प्रयास कर रहे थे। अंदर जाने पर पता चला कि बीएसए कर्नलगंज ब्लॉक संसाधन केंद्र की जांच में गए हैं। उनके कार्यालय में दो लिपिक बैठे हुए मिले। यहां पर बताया गया कि खंड शिक्षा अधिकारी एके राय अभी-अभी समाज कल्याण विभाग गए हुए हैं। बगल के कमरे का फोटो खींचने पर कर्मी आकर दरवाजा खोलने लगे। साक्षर भारत मिशन के एक कमरे में चार जिला समन्वयक बैठे हुए थे। बाहर धानेपुर से राम कुमार क्षेत्र के एक अमान्य स्कूलों के बारे में शिकायत करने के लिए आए हुए थे लेकिन जिम्मेदार अधिकारी के न होने के कारण वह मन मसोस कर वापस लौट गए।
अपनी अपनी दलील
- जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. फतेह बहादुर ¨सह का कहना है कि सोमवार को वह कर्नलगंज बीआरसी की जांच में गए हुए थे। जनता दर्शन के लिए खंड शिक्षा अधिकारी एके राय को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अगर वह समय से नहीं बैठे तो पता कराया जायेगा।
- खंड शिक्षा अधिकारी एके राय का कहना है कि वह सुबह 10 बजे ही कार्यालय पहुंच गए थे। बीच में कुछ देर के लिए समाज कल्याण विभाग में राजकीय आश्रम पद्धति स्कूल के बच्चों से संबंधित डाटा का डिजिटल सिग्नेचर करने के लिए गए हुए थे। वापस दोबारा आकर जनता की समस्याएं सुनी। जितनी देर के लिए वह नहीं थे, उतनी देर के लिए उन्होंने बाबू व चपरासी को बैठा रखा था।