फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के खुलासे के बाद विभाग में खलबली
जागरण संवाददाता, कासगंज (एटा) : जिले में आधा दर्जन फर्जी शिक्षकों के विरुद्ध जिलाधिकारी द्वारा एफआईआर दर्ज कराते ही बेसिक शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। तत्कालीन बीएसए द्वारा नियुक्त किए गए फर्जी शिक्षकों के मामले को पांच वर्ष पूर्व गंभीरता से लिया गया, लेकिन बीएसए के निलंबन तक ही यह कार्रवाई सिमट कर रह गई थी। अब फर्जी तरीके से शिक्षकों की नियुक्ति का मामला फिर उठा है।
वर्ष 2011 में कासगंज जिले में शिक्षकों की नियुक्तियां हुईं। इस जिले में लगभग सात दर्जन पद रिक्त थे इसके लिए प्रक्रिया शुरू हुई। शासन के निर्देश पर हुई नियुक्तियों में बेसिक शिक्षा विभाग ने बड़े स्तर पर धांधली की। यहां दर्जनों शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिए गए। उसके बाद उन्हें तैनाती भी मिली। तैनाती के बाद सत्यापन के साथ ही वेतन मिलने का दौर शुरू हो गया। इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए रिक्त पदों की सूचनाएं नहीं दी गईं। नियुक्ति के बाद कुछ लोगों ने जब मामले को उठाया तो शासन स्तर पर इसकी गूंज हुई। तत्कालीन बीएसए रघुवीर ¨सह को निलंबित किया गया। उस समय इस मामले में न जाने किस तरह स्पष्टीकरण दिया गया कि विभाग बच गया। बीच बीच में इन नियुक्तियों में बीएसए के साथ पैरवी करने वाले कुछ बाबू भी कार्रवाई के दायरे में फंसते रहे लेकिन बस मामले पर पर्दा डाला जाता रहा। मौजूदा जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन को भी फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति की जानकारी हुई तो उन्होंने नए सिरे से जांच उठाई। जिलाधिकारी को पता चला कि दो वर्ष पूर्व जनपद के आधा दर्जन से अधिक शिक्षक नौकरी छोड़ कर भाग गए हैं। यही जांच का विषय बन गया कि उन्हें नौकरी दी कैसे गई। जिलाधिकारी द्वारा कराई गई जांच में इन शिक्षकों की नियुक्तियां फर्जी पाईं गईं हैं। इस पर जिलाधिकारी ने बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश देकर फर्जी शिक्षकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा दी है। पटियाली के खंड शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र ¨सह ने अपने क्षेत्र के आधा दर्जन शिक्षकों पर कोतवाली पटियाली में एफआईआर दर्ज कराई है।
इन शिक्षकों पर हुआ मामला दर्ज
फर्जी नियुक्ति पाने के मामले में शिक्षक विमल कुमार, आनंद कुमार, गुमान राम, सतीश चंद्र, राघवेंद्र, दीपशिखा के विरुद्ध मामला दर्ज करा दिया गया है।
और विकास खंडों में भी हो सकता है खुलासा
हालांकि जिलाधिकारी द्वारा वर्ष 2011 में की गईं नियुक्तियों की जांच तो बैठा दी गई, लेकिन यदि गंभीरता से जांच हो जाए तो जिले के अन्य छह विकास खंडों में ऐसे तमाम शिक्षकों की नियुक्तियां मिल सकती हैं जो प्रदेश के विभिन्न जिलों से कासगंज जिले में भर्ती किए गए हैं।
अभी भी चल रहा खेल
सत्यापन के लिए नई नियुक्तियों की अभ्यर्थियों के अभिलेख भेज दिए गए हैं। नियम के अनुसार भेजे गए अभिलेख की डाक का डिस्पैच नंबर गोपनीय रखा जाता है लेकिन कासगंज में रसूक वाले अभ्यर्थियों को डिस्पैच नंबर दिया जा रहा है। यह अभ्यर्थी व्यक्तिगत सत्यापन में घपलेबाजी कर सकते हैं हालांकि इस मामले की जांच भी जिलाधिकारी द्वारा शुरू करा दी गई है।
अभी विभाग में नहीं दोषी
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दीवान ¨सह का कहना है कि जिलाधिकारी के निर्देश पर पटियाली के खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा एफआईआर कराई गई है। फिलहाल विभाग का कोई कर्मचारी प्रथम दृष्टया दोषी नहीं पाया जा रहा है फिर भी जांच चल रही है।