भर्तियों के लिए 2015 भी रहा शून्य वर्ष : उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का हाल, 2016 के वर्ष में ही नई नियुक्तियां निकालने की तैयारी
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र नौकरियां देने के मामले में ‘ऊसर’ बना हुआ है। इस दशक के पांच वर्षो में केवल दो साल ही ऐसे हैं जब यहां भर्तियां निकाली गईं, बाकी तीन साल शून्य वर्ष ही रहा है। इसमें साल 2015 भी जुड़ने जा रहा है, क्योंकि होली बाद जो रिक्तियां निकालने की तैयारी है वह 2016 की होगी। इस कवायद के बीच यह चर्चा तेज हो चली है कि आखिर चयन बोर्ड से नियुक्तियां मिलना कब शुरू हो पाएगा।
प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त कालेजों में प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों की नियुक्ति का जिम्मा उठाने वाला चयन बोर्ड इधर अघोषित रूप से ठप रहा है। भले ही यहां सब कुछ ठप रहने की बात बीते पांच माह में तेज हुई, लेकिन यह हालात यहां पांच साल से अनवरत बने हैं। नियुक्तियां न होने से कालेजों में पठन-पाठन का स्तर बेहद खराब हो गया है। चयन बोर्ड में 2011 में टीजीटी (स्नातक शिक्षक) व पीजीटी (प्रवक्ता) की भर्तियां जरूर निकाली गईं, लेकिन अब तक वह पूरी नहीं हो सकी। वहीं, 2012 में नियुक्तियां नहीं हो सकी और चयन बोर्ड ने भर्तियां निकाली भी नहीं।
2013 में टीजीटी व पीजीटी की भर्तियां फिर निकाली गईं, यह भी अब तक अधर में लटकी है। पिछले साल एक समय ऐसा आया जब लगा कि शायद 2013 की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, लेकिन कोरम संकट ने रोड़ा अटका दिया।
चयन बोर्ड ने 2014 में भी भर्तियां नहीं निकाली। हां, यह जरूर है कि 2015 में करीब सात हजार पदों पर भर्तियां निकालने की पूरी तैयारी थी, जिलों से अधियाचन मंगा लिए गए थे, पर विज्ञापन निकालने से पहले ही उस पर ग्रहण लग गया। माना जा रहा था कि दिसंबर 2015 तक नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति होने पर भर्तियां निकाली जाएंगी, लेकिन वह भी न हो सका। अब यहां नया अध्यक्ष तैनात हो चुका है और चार सदस्यों की नियुक्ति भी जल्द होनी है। इसी के साथ नई भर्तियां भी निकाले जाने की तैयारी है। करीब आठ हजार पदों की यह भर्तियां अब वर्ष 2016 के तहत किए जाने की तैयारी है। ऐसे में 2012, 2014 के तरह ही 2015 भी भर्तियों के मामले में शून्य वर्ष हो जाएगा।