कानपुर : बीटीसी की 3750 सीटें बढेंगी, बीएड का महत्व कम होने के बाद, बीटीसी के कॉलेज खोलने का होड़
बीएड का महत्व कम होने के बाद बीटीसी की मान्यता लेने की होड़ मच गई है। कानपुर सहित यूपी के अलग-अलग जिलों से इस बार बीटीसी की मान्यता के लिए 3000 आवेदन फार्म नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजूकेशन (एनसीटीई) को भेजे गए हैं।
1500 कॉलेजों को सत्र 2016-17 की मान्यता मिली है। इनमें 75 कॉलेज कानपुर के भी हैं। हर कॉलेज को 50-50 सीटों की मान्यता मिली है। इस हिसाब से यूपी में 75,000 और कानपुर में 3750 सीटें बढ़ जाएंगी।
अभी यूपी में बीटीसी की 40 हजार सीटें हैं। बीएड में एडमिशन का महत्व अब कम हो गया। इस कारण सीटें नहीं भर पा रहीं। कॉलेजों के बंद होने की नौबत आ गई है। इसी का नतीजा है कि दो वर्षीय बीटीसी कोर्स की मान्यता लेने पर जोर दिया जा रहा है।
🌑 टीईटी करके तुरंत मिलती है नौकरी
कॉलेज संचालकों का कहना है कि बीटीसी की पढ़ाई और शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में नौकरी मिल जाती है।
इसलिए बीटीसी में एडमिशन की मारामारी है। फीस भी अच्छी मिल जाती है। एनसीटीई ने सत्र 2017-18 से मान्यता पर रोक भी लगा दी है। इस सत्र (सत्र 2016-17) में मान्यता नहीं मिली तो मामला लटक जाएगा।
एनसीटीई के सूत्रों ने बताया कि अब जुलाई से चलने वाले आगामी शैक्षिक सत्र की मान्यता दे पाना संभव नहीं है। यूपी से 3000 बीटीसी कॉलेजों की मान्यता आवेदन फार्म आए थे, इसमें से 1500 का निस्तारण किया जा चुका। मान्यता जारी करने की यही रफ्तार रही तो बीएड की तरह बीटीसी का महत्व भी कम हो जाएगा।