इलाहाबाद : 38 साल शिक्षाधिकारी, अब राजनीति की डोर, 41 साल पहले अपने प्रथम प्रयास में पीसीएस अफसर बने और राजनीति की पहली पारी में भी एमएलसी सीट पर परचम लहरा दिया
प्रमोद यादव, इलाहाबाद : 41 साल पहले अपने प्रथम प्रयास में पीसीएस अफसर बने और राजनीति की पहली पारी में भी एमएलसी सीट पर परचम लहरा दिया। यह कहानी पूर्व शिक्षा निदेशक बासुदेव यादव की है।
इलाहाबाद के बहरिया ब्लाक के गांव धोसड़ा में 1954 में जन्में बासुदेव यादव बचपन से कुशाग्र बुद्धि के थे। परिवार में छह भाइयों और एक बहन में बासुदेव सबसे छोटे हैं। गांव से प्राइमरी और हाईस्कूल की पढ़ाई के बाद उन्होंने सिविल लाइंस स्थित सीएवी इंटर कालेज से इंटरमीडिएट किया। इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी और एमएससी किया। वह हाईस्कूल से एमएससी तक अपनी कक्षा में टॉप पर रहे। उन्होंने 1975 में एमएससी किया।
इसी वर्ष पीसीएस की परीक्षा में बैठे। पहले ही प्रयास में उन्होंने पीसीएस क्वालिफाई किया और फिर शिक्षा विभाग में तैनाती मिल गई। बासुदेव यादव को पहली तैनाती पौड़ी गढ़वाल के जीआइसी में प्रिंसिपल के रूप में हुई। इसके बाद तो वह शिक्षा विभाग में डीआईओएस, संयुक्त निदेशक, क्षेत्रीय निदेशक, निदेशक सहित तमाम पदों पर तैनात हुए। शिक्षा विभाग में 38 साल की सेवा के बाद वह शिक्षा निदेशक पद से मार्च 2014 में रिटायर हुए। दो साल तक आराम करने के बाद 2016 में सपा से एमएलसी के लिए टिकट मिला और जीत दर्ज की।
एमएलसी चुने गए बासुदेव यादव ने बताया कि वह समाजवादी नीतियों के समर्थक हैं। पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव समाजवाद की ओर हो गया था। चूंकि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से उनका पुराना नाता है इसलिए एमएलसी का उन्हें टिकट मिला और अब विजयश्री उन्हें मिल गई है। 38 साल की सरकारी सेवा के बाद अब राजनीति में आए हैं।
📌 इलाहाबाद : 38 साल शिक्षाधिकारी, अब राजनीति की डोर, 41 साल पहले अपने प्रथम प्रयास में पीसीएस अफसर बने और राजनीति की पहली पारी में भी एमएलसी सीट पर परचम लहरा दिया
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