महराजगंज: मिठौरा विकास खंड के वर्ष 2011-12 के बकाया बोनस प्रकरण का जिन्न एक बार फिर बंद बोतल से बाहर निकल आया है। करोड़ रुपये के घालमेल का यह मामला अभी भी लेखा विभाग बेसिक शिक्षा के फाइलों में उलझा है। बेसिक शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार व कार्यशैली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चार साल बाद भी यह मामला अभी तक नहीं सुलझ सका। यह अलग बात है कि अधिकारी शीघ्र प्रकरण को सुलझाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन ये दावे भी अभी जमीनी सच्चाई से इतर नजर आ रहे हैँ।
दरअसल शिक्षा विभाग में तैनात 11 विकास खंडों के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वर्ष 2011-12 का बोनस भुगतान तो समय से कर दिया गया। लेकिन मिठौरा ब्लाक के 215 शिक्षकों का बोनस भुगतान नहीं हो सका। खबर के मुताबिक वर्ष 2004 के पहले शिक्षकों के जीपीएफ व वेतन का खाता अलग-अलग था। इनके बोनस व वेतन अलग अलग खाते में लेखाविभाग ने भेज दिया था। लेकिन 2004 के बाद तैनात शिक्षकों का जीपीएफ एकाउंट नहीं होता है। उनका वेतन व जीपीएफ की धनराशि को वेतन के खाते में ही भेजा जाता था। लेकिन एक चूक कहें या लापरवाही, जिस कारण शिक्षकों को बोनस की राशि से अभी तक वंचित होना पड़ा, वहीं यह प्रकरण विभाग के गले की हड्डी बन गई है। हुआ यूं कि वेतन की धनराशि के चेक को जीपीएफ का चेक बना दिया गया, और जीपीएफ के चेक को वेतन की धनराशि का बना दिया। इस अंतर से बैंक ने चेक का भुगतान करने से हाथ खड़ा कर दिया और चेक वापस विभाग को भेज दिया था। तभी से प्रकरण फाइलों की जाल में उलझा है, और अधिकारी, शिक्षक संगठन कागजी घोड़ा दौड़ाने में मशगुल रहे। शिक्षक संगठन इस मुद्दे को लेकर अपनी आवाज भी बुलंद करते रहे। बावजूद चार साल बाद भी शिक्षक नेताओं की लंबी चौड़ी फौज बोनस मुद्दे की गुत्थी को सुलझवाने में कामयाब नहीं हो सकी। ----------------------------------------------------------------मिठौरा विकास खंड के शिक्षकों के बोनस का चेक रिन्यूल होकर आ गया है। प्रकरण काफी पुराना व टेक्निकल है। इसलिए दिक्कत हो रही है। मार्च क्लो¨जग चल रहा है। इसके बाद भुगतान की प्रक्रिया अपनायी जाएगी।
संदीप कुमारवित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा