लखनऊ : पांच साल की नौकरी, अब बेरोजगार हो जाएंगे गुरुजी, विद्यालयों में कक्षा छह से लेकर इंटरमीडिएट के छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा देने की थी योजना
लखनऊ । लालबाग के क्वींस इंटर कॉलेज के कंप्यूटर शिक्षक शुभेंद्र त्रिपाठी हों या फिर राजकीय जुबली इंटर कॉलेज में कंप्यूटर पढ़ाने वाले गुरुजी अशोक कुमार सिंह। यह दो शिक्षक तो मात्र उदाहरण हैं। राजधानी के 39 राजकीय और सहायता प्राप्त कॉलेजों के कंप्यूटर शिक्षक 31 मार्च से बेरोजगार हो जाएंगे और कंप्यूटर शिक्षा पूरी तरह से ठप। इन शिक्षकों के हटने के साथ ही एक अप्रैल से शुरू हो रहे नए शैक्षिक सत्र में संबंधित विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा की पढ़ाई नहीं हो पाएगी। लाखों खर्च करके खरीदे कंप्यूटर व अन्य उपकरण अब आराम करेंगे।
दरअसल पांच वर्ष पूर्व केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश सरकार ने इंफारमेशन एंड कंप्यूटर टेक्नालॉजी के अन्तर्गत निश्शुल्क कंप्यूटर शिक्षण योजना शुरू की गई थी। विद्यालयों में कक्षा छह से लेकर इंटरमीडिएट के छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए योजना के तहत राजधानी में पहले चरण में 43 विद्यालयों को चिह्न्ति किया गया और प्रत्येक विद्यालय में एक-एक कंप्यूटर शिक्षक की नियुक्ति दस हजार रुपये मासिक वेतन पर की गई। इसके एक साल बाद दूसरे चरण में 39 विद्यालयों को चिह्न्ति करते हुए 39 शिक्षकों की नियुक्ति की गई। पहले चरण में जो शिक्षक नियुक्त किए गए थे उनकी पांच साल की अवधि पूरा होने पर 2014 में हटा दिया गया। इसको लेकर शिक्षक आंदोलित भी हुए। अब दूसरे चरण में भर्ती किए शिक्षकों की सेवा अवधि 31 मार्च को पूरा हो रही है। पहले इन शिक्षकों की सेवा अवधि 19 दिसंबर 2015 को पूरी हो गई थी। लेकिन बीच सत्र में शिक्षकों के हटने का माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा विरोध व आंदोलन करने के बाद इन्हें मार्च तक के लिए सेवा विस्तार दे दिया गया।
पहले चरण में प्रति विद्यालय कंप्यूटर शिक्षण के लिए कंप्यूटर, जनरेटर सहित अन्य उपकरण खरीदने और लैब बनाने के लिए आठ लाख 36 हजार रुपये खर्च किए गए। दूसरे चरण में यही धनराशि दोगुनी से भी ज्यादा होकर उन्नीस लाख चालीस हजार रुपये हो गई। यह सब काम करने के लिए वेंडर एजेंसी चिह्न्ति की गईं जिन्हें पूरा काम सौंपा गया। जिसको लेकर कई बार उनके द्वारा की गई खरीद-फरोख्त व शिक्षकों के वेतन को लेकर सवाल भी उठे।
शिक्षकों के वेतन में भी खूब हुआ खेल : कंप्यूटर शिक्षकों को नियमानुसार दस हजार रुपये प्रति माह मासिक वेतन पर भर्ती किया गया, लेकिन वेंडर एजेंसी द्वारा पहले चरण के शिक्षकों को बत्तीस सौ पचास रुपये और दूसरे चरण में भर्ती शिक्षकों को चार हजार चालीस रुपये ही भुगतान किया गया। बाकी का पैसा वेंडर एजेंसियों ने अपने पास रखा। इस पर माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री व प्रवक्ता आरपी मिश्र ने बड़े घोटाले की आशंका जताते हुए सीबीआइ जांच की भी मांग की थी।
मिश्र कहते हैं कि शिक्षा विभाग को चाहिए कि शिक्षकों के हटने के बाद से नए सत्र में कंप्यूटर शिक्षा पूरी तरह से ठप हो जाएगी। शिक्षा विभाग को चाहिए कि जिन विद्यालयों में अतिरिक्त पद सृजित हैं उन पदों पर इन कंप्यूटर शिक्षकों को समायोजित किया जाए। जिससे सरकार पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा और छात्रों को कंप्यूटर जैसी महत्वपूर्ण आधुनिक शिक्षा से वंचित होने से बचाया जा सकता है।
शिक्षक कर चुके हैं आंदोलन : पहले चरण में हटाए गए शिक्षकों ने कई बार योजना की शुरूआत करने व उन्हें समायोजित करने की मांग को लेकर आंदोलन कर चुके हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उच्च स्तर पर बैठक करके फिर से योजना शुरू करने का आश्वासन भी पिछले दिनों दिया था। फिलहाल अभी तक इन शिक्षकों के भविष्य को लेकर फैसला नहीं हो पाया है।