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अमरोहा : संस्था श्री अरविंद आश्रम, एक नवाचार करेगा शिक्षा का उद्धार, जी हां, प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कुछ ऐसे किये जा रहे प्रयास

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अमरोहा : संस्था श्री अरविंद आश्रम, एक नवाचार करेगा शिक्षा का उद्धार, जी हां, प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कुछ ऐसे किये जा रहे प्रयास

अमरोहा । एक नवाचार करेगा शिक्षा का उद्धार, जी हां, प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कुछ ऐसे ही प्रयास किए जा रहे हैं। इसका बीड़ा उठाया है यहां के एक युवा प्रेरक संजीव पाल ने, जो कि स्कूलों में जा-जा कर शिक्षकों को इसका प्रशिक्षण भी दे रहा है और उनके नवाचार (आइडिया) भी एकत्र कर रहा है। इनमें से जो सर्वश्रेष्ठ नवाचार होगा, उसे प्रदेश में लागू किया जा सकता है। यहां के निवासी 38 वर्षीय संजीव पाल कभी झोला बांट कर तो कभी मोबाइल फोन पर मैसेज के जरिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक तो करते रहते हैं, लेकिन शिक्षा के स्तर में सुधार का विचार इनके मन में दिल्ली की संस्था श्री अरविंद आश्रम से आया। वह इस संस्था से भी जुड़े हैं। वह चाहते हैं कि पढ़ाई के क्षेत्र में प्राथमिक स्कूलों के बच्चे भी स्मार्ट बनें। उनका कहना है कि, बिना किसी खर्च के शिक्षा के स्तर में सुधार किसी अच्छे नवाचार से लाया जा सकता है। इसके लिए खुद शिक्षकों को अपने अनुभव के साथ-साथ पठन-पाठन का तरीका बदलना होगा। इसके लिए वह शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। अब तक तैंतीस सौ शिक्षकों को प्रशिक्षण दे चुके हैं। एक नवाचार का जिक्र करते हैं कि एक कक्षा में शिक्षक से छात्र बाहर जाने के लिए पूछता है तो शिक्षक कहता है कि चले जाओ, छह डिग्री तक दरवाजा खोलकर जाना, वापसी में चालीस डिग्री तक दरवाजा खोलकर अंदर आना।

इस तरीके से बच्चों को सहजता से कोण का ज्ञान हो गया। इसी प्रकार एक शिक्षिका ने खाने की चीजों को गप व उड़ने को फुर करके बच्चों को समझाया; एक अन्य ने कबाड़ से जुगाड़ का आइडिया दिया। बताया कि वेस्ट फर्नीचर पड़ा था; बच्चें से टूटी तीन टांगे वाली कुर्सियों को एक तरफ, दो वाली को दूसरी तरफ और एक वाली को तीसरी तरफ एकत्रित कराकर रखवा दिया। इससे न केवल कारपेंटर को कार्य करने में आसानी हुई बल्कि बच्चों के भी दिमाग में जल्दी समझ में आ गया कि कैसे खराब कुर्सियों की टांगों को जरूरतमंद कुर्सियों में जोड़कर एक अच्छा फर्नीचर तैयार किया जा सकता है। इससे लागत भी कम आई। वह कहते हैं कि कुछ इसी तरह के नवाचार प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को बौद्धिकता के क्षेत्र में आगे बढ़ा सकते हैं और सुधार कराने में भी सहायक बन सकते हैं। यह कार्य वह अमरोहा, जोया, गजरौला, मंडी धनौरा, हसनपुर व गंगेश्वरी ब्लाक में कर चुके हैं। तैंतीस सौ से ज्यादा शिक्षकों को प्रोग्राम से अवगत कराकर वह इस तरह नवाचार एकत्र कर भी चुके हैं। इन्हें वह अपनी संस्था को भेजेंगे, सर्वश्रेष्ठ का चयन कर सरकार को भेजा जाएगा।

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