इलाहाबाद : संस्कृत से स्नातक वालों को राहत की उम्मीद,अशासकीय कालेजों में हिन्दी शिक्षक की अर्हता बदलने का मामला
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : अशासकीय कालेजों में एलटी ग्रेड हिन्दी शिक्षक बनने के लिए संस्कृत से स्नातक करने वालों को अगले माह तक कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। अर्हता में बदलाव करने वाले माध्यमिक शिक्षा परिषद ने गजट होने के बाद पूरा प्रकरण शासन को भेजा है। वहां से निर्देश आने पर ही स्थिति साफ होगी, लेकिन परिषद की पहल से अर्हता में कुछ न कुछ फेरबदल होने के आसार अब जरूर बन गए हैं।
प्रदेश के राजकीय एवं अशासकीय कालेजों में वर्षो से एलटी ग्रेड हंिदूी शिक्षक बनने की अर्हता अलग-अलग रही है। जहां अशासकीय कालेज में हंिदूी व संस्कृत विषय से स्नातक करने वालों को मौका मिलता था, वहीं राजकीय कालेज में इंटरमीडिएट में संस्कृत व स्नातक में हंिदूी मुख्य विषय से करने वाले अर्ह होते थे। शासन के निर्देश पर परिषद ने दोनों की अर्हता पिछले दिनों समान कर दी। यानी इंटरमीडिएट में संस्कृत और हंिदूी के साथ स्नातक करने वाले ही आगे से हंिदूी के एलटी ग्रेड शिक्षक बनेंगे।
परिषद ने अर्हता बदलने पर मुहर लगने के बाद उसका राजकीय मुद्रणालय से प्रकाशन भी करा दिया। इस प्रकरण को ‘दैनिक जागरण’ ने प्रमुखता से उजागर किया। इस बदलाव से हंिदूी शिक्षक बनने को आतुर युवाओं का एक समूह आहत हुआ।
युवाओं ने अर्हता बदलने के विरोध में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र से लेकर माध्यमिक शिक्षा परिषद एवं शिक्षा निदेशक के कैंप कार्यालय लखनऊ तक में प्रदर्शन किया। चयन बोर्ड, परिषद व कैंप कार्यालय के अफसरों ने शासन को इस घटनाक्रम से अवगत कराया। साथ ही अर्हता के संबंध में कई सुझाव भी भेजे गए हैं, तब तक नए गजट को ज्यों का त्यों फाइल में कैद कर दिया गया है। जिस तरह से परिषद ने कदम बढ़ाया है उससे साफ है कि अर्हता तय करने में मामले में भले ही पुरानी व्यवस्था न बहाल हो, लेकिन कुछ न कुछ राहत जरूर मिल सकती है। इस मामले में शासन का अब अगले माह तक ही जवाब आने की उम्मीद है। उसी के बाद स्थिति साफ होगी, लेकिन होली के मौके पर हंिदूी शिक्षक बनने के लालायित युवाओं को यह खबर काफी राहत दे सकती है। उनकी मांग पर परिषद, चयन बोर्ड सभी गंभीर हुए हैं।