अंबेडकरनगर : परिषदीय शिक्षा की व्यवस्था तथा गुणवत्ता सुधार के लिए अधिकारियों को अब शिक्षकों का मन टटोलना होगा। विभाग की ओर से सुधार की इस कवायद में शिक्षकों की सलाह लेते हुए आगे बढ़ने की राह दिखाई गई है। ऐसे में उच्चशिक्षा हासिल कर परिषदीय शिक्षा में स्थान बनाए हुए शिक्षकों की क्षमता का पूरा इस्तेमाल करते हुए बेसिक शिक्षा के कायाकल्प की जुगत लगाई गई है।
गौरतलब है कि पीएचडी की उपाधि हासिल करने से लेकर शिक्षा के विभिन्न क्षेत्र में उच्च क्षमता रखने वाले युवाओं ने भी परिषदीय स्कूलों में कमान संभाली है। ऐसे में माना जा रहा है कि 50 से अधिक शिक्षक पीएचडी उपाधि धारक हैं। ऐसे में उक्त शिक्षकों की उच्च क्षमता का प्रयोग करते हुए शिक्षा के मूलभूत ढ़ांचे में सुधार के साथ ही गुणवत्ता सुधार की दिशा में जरूरत के मुताबिक फेरबदल किए जाने की रणनीति बनाई जा रही है। जिला स्तर पर अधिकारियों द्वारा ऐसे शिक्षकों से सलाह लिया जाएगा। बता दें कि एमडीएम, ड्रेस, शिक्षा मुफ्त देने के बाद भी परिषदीय स्कूलों में रौनक नहीं दिखाई देती है। छात्रों के पंजीयन के अनुसार करीब 10 से 20 फीसद की नियमित अनुपस्थिति पर शासन ने पहले ही सवाल खड़ा कर दिया था। लिहाजा बच्चों को स्कूल लाने तथा अभिभावकों ने परिषदीय स्कूलों में शिक्षा को लेकर बेहतर माहौल तथा विश्वास पैदा किए जाने की जरूरत है। इसी मकसद से शिक्षकों को सुधार की इस कवायद में शामिल किया जा रहा है। शासन ने माना कि स्कूल स्तर पर सुधार को लेकर शिक्षकों की सलाह बेहतरीन साबित हो सकती है। यही नहीं उच्चशिक्षा हासिल किए हुए शिक्षकों की क्षमता भी सुधार में कारगर साबित होगी। ऐसे में जनपद के विभिन्न विकास खंडों में तैनात उक्त शिक्षकों द्वारा सुधार की दिशा में खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से अथवा सीधे तौर पर बीएसए को सुधार की पहल में अपनी सलाह को शामिल कराया जा सकता है। शासन की इस मंशा को साकार किए जाने के बाबत बीएसए ने बताया कि शिक्षकों से सुधार की सलाह मांगी जा रही है।