बलिया : शिक्षा को बाजारीकरण से बचाने को उठाई आवाज, भारत के संविधान व संसद द्वारा पारित अधिनियमों के अनुसार 18 वर्ष तक के आयु के बच्चों की शिक्षा का उत्तरदायित्व राज्य सरकारों का
बलिया : शिक्षा को बाजारीकरण से बचाने के लिए माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर शनिवार को धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान शिक्षकों ने जिविनि के माध्यम मुख्यमंत्री को सात सूत्रीय ज्ञापन प्रेषित किया। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय परिसर में माशिसं ने एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन आयोजित कर शिक्षा के हो रहे बाजारीकरण के मुद्दे पर अपना पक्ष रखा।
वक्ताओं ने कहा कि भारत के संविधान व संसद द्वारा पारित अधिनियमों के अनुसार 18 वर्ष तक के आयु के बच्चों की शिक्षा का उत्तरदायित्व राज्य सरकारों का है परंतु कार्य रूप में स्थिति नियमों के सर्वथा विपरीत है। कहा कि कक्षा एक से 12 तक के लिए सरकार द्वारा स्थापित संचालित अथवा सहायतित विद्यालयों की संख्या संसद द्वारा पारित अधिनियमों के अनुसार नहीं है। इस दौरान शिक्षकों ने जिले की लंबित समस्याओं के समाधान की ओर जिविनि का ध्यान आकृष्ट कराया तो जिविनि ने शीघ्र समस्या समाधान की बात कही।
इस दौरान अक्षय राय, विष्णुदेव राय, राजेंद्र राय, अशोक श्रीवास्तव, डा. शिवकुमार मिश्र, जयनारायण राय, हरेंद्र ¨सह, अवनीश उपाध्याय, संतोष चौबे, विजयशंकर यादव, लक्ष्मण ¨सह आदि मौजूद थे। अध्यक्षता केके पाण्डेय व संचालन अरुण कुमार ओझा ने किया।
माशिसं की प्रमुख मांगें: शिक्षा को बाजारीकरण से बचाने के लिए हो ठोस कार्यवाही, सरकारी विद्यालयों में कृष्ण व सुदामा को साथ पढ़ाने का हो इंतजाम, शिक्षा सत्र पूर्व की भांति एक जुलाई से 30 जून किया जाए, नकलविहीन परीक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, पारिश्रमिक का भुगतान कार्य संपन्नता के तत्काल बाद किया जाए।