226 राजकीय स्कूलों में ‘जुगाड़ से पढ़ाई’, दो साल बीत गए, शासन ने नहीं किया पद सृजन, ये स्कूल सिर्फ नाम के लिए उच्चीकृत
अखिल सक्सेनालखनऊ। राजकीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के अंतर्गत उच्चीकृत किए गए ज्यादातर राजकीय हाईस्कूलों की स्थिति कुछ ऐसी ही है। आलम यह है कि 2014 में उच्चीकृत किए गए इन स्कूलों के निर्माण की एक ईंट तक नहीं रखी जा सकी और न ही शिक्षकों के पद सृजित किए गए। इन स्कूलों में पिछले दो साल से सिर्फ ‘जुगाड़’ के सहारे पढ़ाई चल रही है। फिर भी शासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है।दरअसल, आरएमएसए के तहत प्रदेश भर में करीब एक हजार विद्यालयों को उच्चीकृत करने की घोषणा की गई थी। इसी क्रम में वर्ष 2014 में प्रदेश भर में 226 जूनियर हाईस्कूलों को उच्चीकृत किया गया था। इस नई व्यवस्था से इन स्कूलों में 10वीं तक पढ़ाई का रास्ता साफ हो गया। उस समय अधिकारियों का दावा था कि जल्द ही इन नए राजकीय हाईस्कूलों में शिक्षकों, प्रधानाचार्य एवं लिपिक आदि के पद सृजित कर तैनाती की जाएगी। साथ ही विद्यालय की बिल्डिंग का भी निर्माण कराया जाएगा। लेकिन दो साल बाद भी यहां न तो स्कूल के नाम पर एक ईंट रखी जा सकी और न ही शिक्षकों के पद सृजित हो सके। राजकीय हाईस्कूल के प्रधानध्यापक के मुताबिक यहां एक कमरा दिया गया है जिसमें कक्षा 9 व 10 के छात्रों को एक साथ पढ़ना पड़ता है। कमरे में खिड़की व पल्ले भी गायब हैं। अलग से किसी भी शिक्षक की तैनाती नहीं की गई है जो अन्य विषय पढ़ाए। फर्नीचर न होने की वजह से छात्र चटाई पर बैठते हैं। इसके अलावा बिजली तक नहीं है। ऐसे में इतनी गर्मी में हाल बेहाल है। कुछ ऐसा ही हाल अन्य उच्चीकृत राजकीय हाईस्कूलों का भी है।
गोसाईंगंज का राजकीय हाईस्कूल सुरियामऊ। दो साल पहले इसे उच्चीकृत कर 9वीं, की पढ़ाई शुरू कराई गई। दावा था कि जल्द ही सारी सुविधाएं दी जाएंगी। लेकिन अब तक न इसकी बिल्डिंग नहीं बन सकी। नतीजा छात्र जूनियर हाईस्कूल के एक कमरे में चटाई पर बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए यहां स्थाई शिक्षक भी नहीं हैं।राजकीय हाईस्कूल मस्ते मऊ। यह स्कूल भी 2014 में उच्चीकृत कर शुरू किया गया था। लेकिन अब तक यहां बिल्डिंग का निर्माण नहीं हो सका। नतीजा कक्षा 9 व 10 के छात्र एक कमरे में दरी पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं।
आरएमएसए के तहत राजधानी में 15 विद्यालय उच्चीकृत हुए थे, उनके निर्माण के लिए अभी तक पैसा नहीं आया था, जिसकी वजह से निर्माण कार्य नहीं शुरू हो सका। अब पैसा आ गया और उसे स्कूलों को भेजने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जल्द निर्माण शुरू हो सकेगा।उमेश कुमार त्रिपाठी, जिला विद्यालय निरीक्षक उच्चीकृत हुए राजकीय हाईस्कूलों की खराब ठीक नहीं है। यहां अब तक यहां न तो शिक्षकों की भर्ती हो सकी और न ही बिल्डिंग बन सकी। संगठन की ओर से हमने प्रमुख सचिव से बीते चार अप्रैल को मुलाकात कर समस्या से अवगत कराया था। उन्होंने आश्वासन दिया है। यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो शिक्षक संघ धरना प्रदर्शन करेगा।पारस नाथ पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष राजकीय शिक्षक संघ
अब तक नहीं हुआ एक भी कक्ष का निर्माण
राजकीय हाईस्कूल सिंघरवा, राजकीय हाईस्कूल जौरिया, राजकीय हाईस्कूल ससपन, राजकीय हाईस्कूल मवई, राजकीय हाईस्कूल बीबीपुर, राजकीय हाईस्कूल बेहटा, राजकीय हाईस्कूल रसूलपुर सादात, राजकीय हाईस्कूल मोलहा, राजकीय हाईस्कूल पलहेंदा, राकीय हाईस्कूल धनुआ साड़, राजकीय हाईस्कूल मस्तीपुर, राजकीय हाईस्कूल सुरिया मऊ, राजकीय हाईस्कूल रतिया मऊ, राजकीय हाईस्कूल मस्तेमऊ, राजकीय हाईस्कूल थरी।