उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 29334 गणित-विज्ञान के सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के मामले में कई जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों पर मनमाने तरीके से काउंसलिंग कराने और पूर्व में चयनित हो चुके अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं देने का आरोप है। इसकी वजह से मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने 14 जिलों के बीएसए से काउंसलिंग का चरणबद्ध रिकार्ड मांग लिया है। उनसे प्रत्येक चरण की काउंसलिंग के लिए जारी कट ऑफ मेरिट के साथ ही यह भी बताने को कहा है कि क्या किसी चयनित अभ्यर्थी के अंक कट ऑफ मेरिट से कम हैं और यदि ऐसा है तो क्या अन्य उपस्थित अभ्यर्थियों से उसके अंक अधिक थे। यह भी बताने को कहा है कि क्या पूर्व में किसी चरण की काउंसलिंग में इससे नीचे की कट ऑफ मेरिट जारी की गई और उसके बाद आगे की काउंसलिंग कराई गई। यदि ऐसा किया गया तो किसके आदेश से किया गया। 14 जिलों से याचिका दाखिल करने वाले अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने दिया है।
याचीगण का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी, विभू राय ने बताया कि याचीगण पूर्व में अपने-अपने जिलों की काउंसलिंग में शामिल हुए थे। उनके अंक घोषित कट ऑफ मेरिट से अधिक थे। उनके मूल दस्तावेज भी जमा करा लिए गए मगर नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया। अधिवक्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने समय सीमा के भीतर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है। बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने मनमाने तरीके से चयन प्रक्रिया अपनाई है। एक चरण की काउंसलिंग के बाद दूसरे चरण में कट ऑफ मेरिट और ऊपर कर दी गई जबकि पहले चरण में याचीगण के अंक कट ऑफ मेरिट से अधिक थे।
नियमानुसार काउंसलिंग से पूर्व कट ऑफ मेरिट का विज्ञापन जारी किया जाना चाहिए था, उसके बाद घोषित कट ऑफ से अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए बुलाया जाना चाहिए। यह चयन की सामान्य प्रक्रिया है। संबंधित जिलों के बीएसए ने इस प्रक्रिया का पालन न करके मनमाने तरीके से काउंसलिंग कराई और पूर्व की काउंसलिंग में चयनित हो चुके अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
इससे पूर्व 14 जिलों के जिनमें फिरोजाबाद, हरदोई, हापुड़, प्रतापगढ़, फतेहपुर, गोंडा, कौशांबी, कुशीनगर, इटावा, लखीमपुर, अलीगढ़, श्रावस्ती, बरेली और बांदा के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कोर्ट ने पूर्व में हलफनामा मांगा था। इनका कहना है कि याचीगण ने कट ऑफ लिस्ट में अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम अंक प्राप्त किए हैं, इसलिए अवमानना का मामला नहीं बनता है। कोर्ट ने इन सभी अधिकारियों को काउंसलिंग का चरणबद्ध ब्यौरा दो मई को दाखिल करने का निर्देश दिया है।