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मुजफ्फरनगर : सरकारी स्कूलों के हालात: कहीं पड़े ताले तो कहीं स्कूल कर दिए बारात के हवाले

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सरकारी स्कूलों के हालात: कहीं पड़े ताले तो कहीं स्कूल कर दिए बारात के हवाले



जानसठ: सरकार विश्व बैंक की मदद से परिषदीय स्कूलों पर चाहे कितना भी धन खर्च कर ले लेकिन स्कूलों की दशा सुधरने वाली नहीं है। एक ओर जहां पब्लिक स्कूल आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं वहीं परिषदीय स्कूल पुराने ढर्रे पर संचालित किए जा रहे हैं। हालात यह हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चे गर्मी में पढ़ने को मजबूर हैं तो कहीं पानी और शौचालयों की बुरी हालत है। इतना ही नहीं, शिक्षक भी इतने बेखौफ हैं कि कहीं स्कूलों में समय से पूर्व ही ताले लटक जाते हैं तो कहीं बारात के लिए स्कूल से खाली कर दिया जाता है।

शौचालय व नल पड़े हैं जर्जर हालत में

बिजली नहीं है तो झेल लेंगे लेकिन कई स्कूलों में शौचालयों की हालत बहुत खराब है। छात्राओं की माने तो उनके शौचालय काफी समय से खराब पड़े हुए हैं। स्कूल टाईम वह या तो स्कूल के निकट जंगल में शौच के लिए जाती हैं या फिर मैडम से चाबी लेकर उनके शौचालय का प्रयोग करती हैं। इतना ही नहीं, कई स्कूलों जहां नल खराब पड़े हुए वहीं चूडियाला गांव के प्राथमिक विद्यालय में छात्र-छात्राएं दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। हालांकि शिक्षकों ने बताया है कि वह पानी की शिकायत दे चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

बिना अनुमति बारात ठहराना सरकारी स्कूल में है आम बात

दैनिक जागरण की टीम सुबह करीब साढ़े दस बजे राजपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय पहुंची। यहां एक ही परिसर में दो स्कूल हैं। स्कूल में बारात की चढ़त के लिए बग्गी तैयार खड़ी थी और बारात के बैठने के लिए चारपाइयों का इंतजाम था लेकिन बच्चे स्कूल से गायब थे। जबकि एक कमरे में शिक्षा मित्र और एक शिक्षक बातों में मशगूल दिखे। बच्चे न होने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि गांव में एक लड़की की शादी है, इसके चलते उन्होंने बच्चों को जल्दी घर भेज दिया। स्कूल के इंचार्ज पवन ने स्वयं ही बताया कि स्कूल को बारात के लिए देने के लिए किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई है।

तिलौरा में समय से पूर्व ही बंद कर दिया जाता है स्कूल

करीब 11 बजकर 25 मिनट पर तिलौरा के प्राथमिक विद्यालय नंबर एक व दो दोनों में ही ताले लटके मिले। इतना ही नहीं, स्कूल की दशा देखकर लगता है कि जैसे पिछले काफी समय से स्कूल में कोई आया ही नहीं है। जबकि शौचालय तो काफी समय से जर्जर हालत में पड़े हुए हैं। इससे साफ स्पष्ट होता है कि इस स्कूल के शिक्षक अपने

काम में कितनी रूची लेते हैं।

खंड शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि जिस स्कूल में बारात ठहराई गई है उस स्कूल के इंचार्ज व जिन्होंने समय से पूर्व स्कूल बंद कर दिए हैं उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए जाएंगे। साथ विभाग को सूचित किया जाएगा। बिजली की व्यवस्था के बारे में डीएम साहब से बातचीत चल रहीं है और जल्द ही स्कूलों में पंखे आदि की व्यवस्था भी की जाएगी।

प्राथमिक विद्यालयों में बिना पंखों के बिलबिला रहे बच्चे

खतौली: पारा 40 के पार और लू के थपेड़े। ऐसे में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में बच्चे बिना पंखों के बिलबिला रहे हैं। अधिकांश स्कूलों में बिजली का कनेक्शन तक नहीं है। यदि किसी में बिजली का कनेक्शन है तो वहां लाइट नहीं आती। इन स्कूलों में बच्चों को जमीन में बैठकर पढ़ना पड़ता है। भीषण गर्मी में सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम हो रही है।

पिछले करीब एक पखवाड़े से गर्मी अपना रौंद्र धारण किए है। लू भी चल रही है, ऐसे में स्कूलों में बिना पंखे बच्चे कैसे पढ़ रहे हैं, यह सोचनीय है। बच्चे पसीनों में नहा रहे हैं, पर अफसर इसे गंभीरता से नहीं ले रहे।

खंड शिक्षाधिकारी अलका अग्रवाल कहती हैं कि सरकारी स्कूलों के विद्युतीकरण करने और उनमें हर कक्ष में एक पंखा और एक बल्ब लगाने की योजना शुरू की गई है। इसके लिए बजट भी पास कर दिया गया है। बीएसएस ने जिन स्कूलों में उक्त कार्य कराने की जरूरत है, उनका प्रस्ताव मांगा है, इसके अलावा स्कूलों में फर्नीचर के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं। कुछ स्कूलों में तीन चौकियां दी गईं।

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