बेसिक शिक्षा विभाग की अजब कहानी है जो शिक्षक स्कूल में लगन से काम करता है वह हर पावना से मरहूम हो जाता है वंचित वही कुछ लोग अपना स्कूल छोड़ कर कार्यालय में चौबीसो घंटे जमे रहते है और खेल में भागीदार बने रहते है यही हाल रहा प्रशिक्षु शिक्षक एरियर भुगतान के मामले में अर्थात पढ़ाओगो तो कुछ नहीं पाओगे लगे रहो मुन्ना भाई
एरियर भुगतान में खेल, सुविधा वाले पास
जागरण संवाददाता, महराजगंज: बेसिक शिक्षा विभाग की महिमा निराली है। अगर आप की पहुंच है, या रसूक वाले हैं, तो यहां सब कुछ जायज है। फायदा हाथ में हो, तो कायदा ताक पर रखकर कार्य किया जाता है। ऐसा ही खेल हुआ एरियर भुगतान में प्रशिक्षु शिक्षकों से मौलिक नियुक्त पाए सहायक अध्यापकों के साथ। सुविधा वाले शिक्षकों को पास कर एरियर का भुगतान कर दिया गया, जबकि खुश न कर पाने वाले शिक्षकों को इस लाभ से वंचित कर दिया गया।
प्रशिक्षु शिक्षकों से परिषदीय विद्यालयों में मौलिक नियुक्ति पाए सहायक अध्यापकों से एरियर भुगतान के नाम पर वसूली का मामला बेसिक शिक्षा विभाग की गलियारे में आम हो गई है। प्रथम व द्वितीय बैच में तैनात 717 सहायक अध्यापकों को वेतन भुगतान के बाद 270 शिक्षकों को नियमों की अनदेखी कर एरियर का भुगतान किया गया है। जबकि नियम के अनुसार शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के सभी सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद वह खंड शिक्षा अधिकारी के संस्तुति पर ही एरियर भुगतान किया जाता है। क्रास इंट्री, बिल की देयता, कार्य प्रमाण-पत्र की प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया। सारे नियमों को ताक पर रखकर कार्य किया गया। सहायक अध्यापक बने प्रशिक्षु शिक्षकों के एरियर भुगतान के लिए बीइओ से संस्तुति भी नहीं ली गई। इस एरियर भुगतान के नाम पर वसूली के खेल का भंडा तब फूटा जब आपस में अपने-अपने कंडिडेट को लेकर सुविधा शुल्क में छूट दिलाने की बात उठी। यहीं से दरार पड़ी और वसूली की चर्चाएं आम हो गई। आरोप है कि एरियर के नाम पर पैंतीस सौ रुपये से लेकर छह हजार तक की वसूली की गई है। जिन्होंने सुविधा शुल्क दिया है, उन्हें एरियर का भुगतान कर दिया गया है, लेकिन जिन्होंने असमर्थता जाहिर की, उन्हें सूची में तरजीह नहीं मिली। ऐसे में एरियर के भुगतान से वंचित सहायक अध्यापकों ने शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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जांच कर होगी कार्रवाई: एडीएम
महराजगंज: अपर जिलाधिकारी कृपा शंकर पांडेय ने कहा कि एरियर भुगतान के लिए कुछ शिक्षकों द्वारा कोषागार कार्यालय पर लास्ट आवर में दबाव बनाया जा रहा था। जिन्हें टोकन दिलवाया गया, उसके बाद जब वह बेनिफेसरी बनवाने गए, तो शिक्षकों से पासवर्ड लाक होने की बात बताई गई। फिर एसबीआई से पासवर्ड अनलाक कर दूसरा पासवर्ड दिया गया। उसके बाद एरियर का भुगतान हुआ। लेकिन इस तरह की कोई जानकारी नहीं है। शिकायत मिलने पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी। शासनादेश के विरुद्ध अनियमित ढंग से कार्य करने वालों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा।